Freddy movie review: फ्रेडी बन कार्तिक ने फिर जीता दिल, प्यार में धोखा खाए आशिक क़े बदले की है कहानी।

Freddy movie review: फ्रेडी बन कार्तिक ने फिर जीता दिल, प्यार में धोखा खाए आशिक क़े बदले की है कहानी।

फ्रेडी एक सफल डेंटिस्ट है, लेकिन निजी ज़िन्दगी में असफल मतलब अकेला है। वह बीते पांच सालों से मैट्रिमोनियल साइट पर अपनी सोलमेट की तलाश कर रहा है। 

फ़िल्म- फ्रेडी

निर्देशक -शशांक घोष

कलाकार-कार्तिक आर्यन, अलाया एफ,सज्जाद और अन्य

प्लेटफार्म -डिज्नी प्लस हॉटस्टार

रेटिंग- 3

फिल्म का रोमांच देखकर दांतों तले उंगलियां दबाएंगे दर्शक ! यह रोमांचक फ़िल्म कार्तिक आर्यन क़े जानदार परफॉरमेंस की वजह से देखी जानी चाहिए। 

फिल्म की अभिनेत्री अलाया अब्राहिम फर्नीचरवाला बॉलीवुड अभिनेत्री पूजा बेदी की बेटी हैं। उनके नाना दिग्गज अभिनेता कबीर बेदी हैं। 

फिल्म फ्रेडी एक सस्पेंस मूवी है और इसमें कार्तिक आर्यन डॉक्टर फ्रेडी गिनवाला के रोल में है। इस फिल्म में कार्तिक का अलग अंदाज दर्शक देखेंगे। इस मूवी के लिए एक्टर ने वजन बढ़ाया है और लुक पर काफी मेहनत की है। मूवी डिजिटल प्लेटफॉर्म डिजनी हॉटस्टार पर 2 दिसंबर को रिलीज हुई है। Koimoi की रिपोर्ट के मुताबिक एक्टर ने फिल्म में काम करने के लिए तगड़ी फीस ली है। इस रिपोर्ट की मानें तो उन्होंने 7 करोड़ रुपये चार्ज किए है। शशांक घोष निर्देशित फिल्म फ्रेडी में जेनिफर पिकिनाटो भी है। उन्हें फिल्म में काम करने के लिए 25 लाख रुपये चार्ज किए है। बता दें कि पिछली बार एक्ट्रेस फिल्म राम सेतु में नजर आई थी, जिसमें अक्षय कुमार और जैकलीन और नुसरत है। अलाया फिल्म फ्रेडी में कैनाज ईरानी का किरदार निभा रही है, जिसे कार्तिक आर्यन से प्यार हो जाता है। उन्होंने इसमें काम करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये लिए है। बता दें कि अलाया ने जवानी जानेमन से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, जिसमें सैफ अली खान और तब्बू थे। इस फ़िल्म के लिए उन्हें बेस्ट बॉलीवुड डेब्यू का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। 


 एक सफल डेंटिस्ट है। लेकिन निजी ज़िन्दगी में असफल मतलब अकेला है। वह बीते पांच सालों से मैट्रिमोनियल साइट पर अपनी सोलमेट की तलाश कर रहा है, लेकिन लड़कियां फ्रेडी से दूर भागती है क्यूंकि वह बहुत डरा और सहमा सा है। उसके पीछे की वजह उसके बचपन से जुडी है। लड़कियों को वह बहुत अनकूल टाइप का लगता है। लगातार लड़कियों से रिजेक्ट होते होते एक दिन उसकी ज़िन्दगी में कायनाज (अलाया एफ )की एंट्री होती है। वह फ्रेडी को उसकी सोलमेट का एहसास दे जाती है, लेकिन दिक्कत यह है कि वह शादीशुदा है। वह एक बुरी शादी में फंसी हुई है। फ्रेडी, कायनाज को इस बुरी शादी से निकालने और अपनी ज़िन्दगी में शामिल करने के लिए उसके पति को मारने का प्लान बनाता है और वह इसमें कामयाब भी हो जाता है। क्या फ्रेडी और कायनाज एक हो जाएंगे या कहानी कोई और मोड़ लेगी। इसके लिए आपको यह फ़िल्म देखनी होगी।

स्क्रिप्ट क़े ये पहलू स्माइल और दर्द देते है। 

फ़िल्म का पहला भाग स्लो है। फ्रेडी के किरदार को बिल्ड करने में थोड़ा ज़्यादा समय दिया गया है। कहानी में जो कुछ भी ट्विस्ट एंड टर्न आते है। वो कहीं ना कहीं आपको पता होते है। जिससे फ़िल्म का ट्विस्ट एंड टर्न आपको रोमांचित नहीं कर पाता है। पुलिस की सीरियस जांच पड़ताल को भी स्क्रिप्ट से दूर ही रखा गया है और ये भी अपने बचपन के ट्रामा से फ्रेडी ने किस तरह से उबारा। फ़िल्म के स्क्रीनप्ले पर थोड़ा और काम करने की ज़रूरत थी। जिससे यह एक उम्दा फ़िल्म बन सकती थी। स्क्रिप्ट से जुडी स्माइल की बात करें तो कहानी में यह बात भले ही समझ आ जाती है कि अब क्या होगा, लेकिन जिस तरह से यह कहानी कही गयी है। वह बहुत दिलचस्प है। फ्रेडी बदला लेगा ये बात पता होती है, लेकिन कैसे लेगा वो खास है। फ्रेडी सहमा, संकोची सा है,लेकिन प्यार में धोखा खाने के बाद जिस तरह से वह बदला लेने का मास्टर प्लान बनाता है। वह आपको इस फ़िल्म से पूरी तरह से जोड़े रखता है। आप जानना चाहते हैँ कि फ्रेडी ये सब अकेले कैसे कर लेगा। इसके अलावा फ़िल्म में गिने -चुने किरदार है। लेकिन जिस तरह से वह रंग बदलते है। वह इस फ़िल्म की कहानी दिलचस्प बनाते है। बदले इस कहानी में हास्य के रंग भी है। जो कहानी को ज़रूरत से ज़्यादा इंटेंस नहीं होने देता है।

ये पहलू हैं चमकदार

फ़िल्म का कैमरावर्क बेहतरीन है। जिस तरह से कहानी को कहाँ गया है। वह इसमें एक अलग रंग भरता है। फ़िल्म के गीत संगीत की बात करें तो यह कहानी और किरदार क़े हालात दोनों को मजबूती से बयां करता है। खासकर फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक फ़िल्म क़े नरेटिव के साथ बखूबी जाता है। फ़िल्म के संवाद भी कहानी क़े साथ न्याय करते है। 

कार्तिक का अभिनय फ़िल्म की सबसे बड़ी मजबूती

अभिनय की बात करें तो यह फ़िल्म पूरी तरह से कार्तिक के कंधों पर है और उन्होने इसे बखूबी निभाया भी है। अपने बचपन से जुड़े दर्द, महिलाओं के प्रति आकर्षण, अपनी झिझक, आत्मविश्वास की कमी, अपने किरदार से जुड़े हर पहलू को उन्होने पूरी शिद्दत क़े साथ अपनी बॉडी लैंग्वेज, संवाद अदाएगी और चेहरे के हाव -भाव के साथ जिया है।  जिसके लिए उनकी तारीफ बनती है। एक्टर के तौर पर यह फ़िल्म उन्हें एक पायदान ऊपर ले जाती है। अलाया फर्नीचर वाला का किरदार भी दिलचस्प है। जिस तरह से उन्होंने अपने किरदार को कहानी में ट्रांसफार्म किया है। वह अच्छा बन पड़ा है। सज्जाद भी अपनी भूमिका में जमे है। पारसी लहजा उन्होने बखूबी किरदार में जोड़ा है। 


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