झारखंड की युवा कवयित्री और स्वतंत्र पत्रकार जसिंता केरकेट्टा को फॉर्ब्स इंडिया ने सेल्फ मेड वुमन की सूची में किया शामिल।

झारखंड की युवा कवयित्री और स्वतंत्र पत्रकार जसिंता केरकेट्टा को फॉर्ब्स इंडिया ने सेल्फ मेड वुमन की सूची में किया शामिल।

फॉर्ब्स इंडिया ने भारत की सेल्फ मेड वुमन 2022 की सूची में झारखंड की युवा कवयित्री और स्वतंत्र पत्रकार  जसिंता केरकेट्टा को टाॅप महिलाओं की सूची में शामिल किया है। जसिंता की कविताएं ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं। 


फाॅर्ब्स इंडिया की सूची में शामिल किये जाने के बाद जसिंता केरकेट्टा ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिख फॉर्ब्स इंडिया के सेल्फ मेड वुमन की सूची में शामिल किये जाने की सूचना दी। 


फोर्ब्स इंडिया की टीम ने रिसर्च करके ऐसे नामों को सूची में जगह दी जिन्होंने अपनी पहचान खुद बनायी, जिन्हें विरासत में धन या पद नहीं मिला था। ऐसी महिलाएं जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें। इस सूची में 20 नामों को जगह दी गयी है। इस साल फोर्ब्स इंडिया की सेल्फ मेड वुमन डब्ल्यू-पॉवर 2022 की सूची में ऐसी महिलाओं को शामिल किया गया है, जो रूढ़ियों को तोड़ रही हैं, संदेह को खारिज कर रही हैं और बदलाव का नेतृत्व कर रही हैं। जसिंता केरकेट्टा के अलावा जो प्रमुख नाम इस सूची में हैं उनमें प्रमुख हैं निखत जरीन, कटरीना कैफ, अंजु श्रीवास्तव एवं अंजलि बंसल शामिल है। 


जसिंता केरकेट्टा देश की जानी-पहचानी युवा कवयित्री और स्वतंत्र पत्रकार हैं, जिन्होंने लगातार महिला अधिकारों की बात की। जिन्होंने आदिवासी समाज पर हो रहे अत्याचारों की बेबाकी से चर्चा की, साथ ही अपने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों का भी खुल कर विरोध किया। 


जन्म : 3 अगस्त 1983 झारखण्ड की पश्चिमी सिंहभूम जिले में सारंडा जंगल से सटे झारखण्ड व ओडिसा की सीमा पर स्थित मनोहरपुर प्रखंड के खुदपोस गाँव में, काव्य संग्रह 2016 में पहला काव्य-संग्रह 'अंगोर' हिंदी-अंग्रेजी में आदिवानी कोलकाता से प्रकाशित 'अंगोर' का जर्मन संस्करण हिंदी-जर्मन में 'ग्लूट' नाम से द्रोपदी वेरलाग, जर्मनी से प्रकाशित रचनाएं : बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग से प्रकाशित पत्रिका 'परिचय' सहित देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में अनेक कविताएं प्रकाशित जिनमें 'पहल', 'नया ज्ञानोदय', 'युद्धरत आम आदमी', 'शुक्रवार', 'वागर्थ' शामिल हैं. विभिन्न कावियों के कविता-संग्रहों में भीं इनकी कवितायेँ शामिल, इनमें 'शतदल', रेतपथ, 'समंदर में सूरज', 'कलम को तीर बनने दो, 'माटी', आदि स्मरणीय हैं। उपलब्धियां : 2014 में आदिवासियों के स्थानीय संघर्ष पर उनकी एक रिपोर्ट पर बतौर आदिवासी महिला पत्रकार उन्हें इंडिजिनस वॉयस ऑफ़ एशिया का रिकगनिशन अवार्ड, एशिया इंडिजिनस पीपुल्स पैक्ट, थाईलैंड की ओर से दिया गया। 2014 में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर झारखण्ड इंडिजिनस पीपुल्स फोरम की ओर से कविताओं के लिए सम्मानित, 2014 में ही उन्हें बतौर स्वतंत्र पत्रकार प्रतिष्ठित यूएनडीपी फेलोशिप प्राप्त हुई। 2014 में छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ की ओर युवा कवि के रूप में  प्रेरणा सम्मान' से सम्मानित, 2015 में उन्हें रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता-पुरस्कार प्राप्त हुआ। 2017 में प्रभात खबर अख़बार द्वारा अपराजिता सम्मान से सम्मानित, सम्प्रति: वर्तमान में वे गाँव में सामाजिक कार्य के साथ कविता सृजन कर रही हैं। 


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