शहर के अधिकतर तालाबों के पानी प्रदूषित : नदी-तालाबों की नहीं हुई सफाई, सैकड़ों व्रती घर पर देंगी अर्घ्य!

शहर के अधिकतर तालाबों के पानी प्रदूषित : नदी-तालाबों की नहीं हुई सफाई, सैकड़ों व्रती घर पर देंगी अर्घ्य!


प्राकृतिक नदी, तालाबों में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अब सैकड़ों व्रती घर की छत पर प्लास्टिक के टब और प्लास्टिक से अस्थायी तालाब बना कर छठ की पूजा का प्रचलन बढ़ा है। स्थानीय बाजार और ऑनलाइन प्लास्टिक के टब की बिक्री छठ पूजा के लिए हो रही है। 

शहर के लगभग सभी तालाब प्रदूषित हो चुके हैं। इनमें बिना सफाई किये पूजा संभव ही नहीं था। इसको लेकर शहर के तालाबों की सफाई नगर निगम ने कराया है। गुरुवार को डीसी नैंसी सहाय ने खुद शहर के तालाबों तक पहुंच कर उसका भौतिक निरीक्षण किया। साफ सफाई का जायजा लिया।

तालाब में डाले गए पूजन सामग्री के कचरा प्लास्टिक को हटा लिया गया लेकिन पानी अभी भी प्रदूषित है। शहर के बीच से गुजरने वाला अन्नदा चौक से खिरगांव तक का नाला का पानी प्रदूषित होकर काला हो चुका है।

यह नाला भी कभी स्वच्छ हुआ करता था यही वजह है कि मीठा तालाब के बगल में नाले के पास काली मंदिर का निर्माण किया गया था। दरअसल यह श्मशान काली हैं। अतिक्रमण और प्रदूषण के बाद यहां से श्मशान का नामो निशान मिट गया लेकिन मंदिर बरकरार है।

जलस्रोतों का अतिक्रमण और प्रदूषित होने से रोके नगर निगम :

हजारीबाग शहर के जलस्रोतों को छठ के पहले नगर पालिका अब नगर निगम साफ कराकर अपने कर्तव्य की खानापूर्ति कर लेता है। जलस्रोतों का अतिक्रमण और प्रदूषण नहीं हो इसके लिए नगर निगम को प्रारंभ से ही ध्यान देना था। नगर निगम आयुक्त ने इस सप्ताह जबरा तालाब, श्री तालाब कोर्रा का अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आवेदन पुलिस को दिया है।

रामनगर नाला में होती थी छठ :

रामनगर नाला के पास रहने वाले डॉ अजय कुमार शर्मा बताते हैं कि इस नाले में उनकी मां छठ करती थी। जैसे-जैसे नाले के दोनों और घर बनने लगे वह पूरी तरह प्रदूषित हो गया। अब इस नाले का पानी जानवर भी पीना नहीं चाहते।

गोंदा नदी बन गया नाला :

गोंदा नदी पर गोंदा डैम बना है। डैम से रिसकर निकलने वाला पानी गोंदा नदी में बहता है। सलगावां से आगे बढ़ने पर विष्णुपुरी कुम्हार टोली, मुक्तिधाम तक नदी नाले में तब्दील हो चुकी है। विष्णुपुरी निवासी राजेश मिश्रा बताते हैं कि नदी का प्रदूषण के साथ अतिक्रमण हुआ है इससे ज्यादा बारिश होने पर नदी का पानी घरों में घुसने लगा है।


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