हजारीबाग के चौपारण में बहेगी ज्ञान एवं अध्यात्म की गंगा, इस्कॉन को दान में मिले 2 एकड़ जमीन।
हजारीबाग के चौपारण में बहेगी ज्ञान एवं अध्यात्म की गंगा, इस्कॉन को दान में मिले 2 एकड़ जमीन।
हजारीबाग के चौपारण स्थित सियरकोनी घाटी की पहचान बदलने वाली है। यहां इस्कॉन को दो एकड़ जमीन दान में मिली है। सियरकोनी में गुरुकुल, मंदिर, गौशाला एवं कृषि कार्य होंगे। गुरुकुल में वैदिक रीति-रिवाज से प्राचीन परंपरा के आधार पर बच्चों को शिक्षा मिलेगी।
अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन ( International Society for Krishna Consciousness - ISKCON) को "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है। इसे 1966 में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने प्रारम्भ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय है।
कृष्ण भक्ति में लीन इस अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना श्रीकृष्णकृपा श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपादजी ने सन् 1966 में न्यू यॉर्क सिटी में की थी। गुरू भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ने प्रभुपाद महाराज से कहा तुम युवा हो, तेजस्वी हो, कृष्ण भक्ति का विदेश में प्रचार-प्रसार करों। आदेश का पालन करने के लिए उन्होंने 59 वर्ष की आयु में संन्यास ले लिया और गुरु आज्ञा पूर्ण करने का प्रयास करने लगे। अथक प्रयासों के बाद सत्तर वर्ष की आयु में न्यूयॉर्क में कृष्णभवनामृत संघ की स्थापना की। न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा शीघ्र ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के पावन भजन से गुंजायमान होने लगे।
अपने साधारण नियम और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इस मंदिर के अनुयायीयों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर वह व्यक्ति जो कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है। स्वामी प्रभुपादजी के अथक प्रयासों के कारण दस वर्ष के अल्प समय में ही समूचे विश्व में 108 मंदिरों का निर्माण हो चुका था। इस समय इस्कॉन समूह के लगभग 400 से अधिक मंदिरों की स्थापना हो चुकी है।
पूरी दुनिया में इतने अधिक अनुयायी होने का कारण यहाँ मिलने वाली असीम शांति है। इसी शांति की तलाश में पूरब की गीता पश्चिम के लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगी। यहाँ के मतावलंबियों को चार सरल नियमों का पालन करना होता है-
धर्म के चार स्तम्भ - तप, शौच, दया तथा सत्य हैं।
इसी का व्यावहारिक पालन करने हेतु इस्कॉन के कुछ मूलभूत नियम हैं।
तप : किसी भी प्रकार का नशा नहीं। चाय, कॉफ़ी भी नहीं।
शौच : अवैध स्त्री/पुरुष गमन नहीं।
दया : माँसाहार/ अभक्ष्य भक्षण नहीं। (लहसुन, प्याज़ भी नहीं)
सत्य : जुआ नहीं। (शेयर बाज़ारी भी नहीं)
उन्हें तामसिक भोजन त्यागना होगा (तामसिक भोजन के तहत उन्हें प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि से दूर रहना होगा)
अनैतिक आचरण से दूर रहना (इसके तहत जुआ, पब, वेश्यालय जैसे स्थानों पर जाना वर्जित है)
एक घंटा शास्त्राध्ययन (इसमें गीता और भारतीय धर्म-इतिहास से जुड़े शास्त्रों का अध्ययन करना होता है)
'हरे कृष्णा-हरे कृष्णा' नाम की 16 बार माला करना होती है।
भारत से बाहर विदेशों में हजारों महिलाओं को साड़ी पहने चंदन की बिंदी लगाए व पुरुषों को धोती कुर्ता और गले में तुलसी की माला पहने देखा जा सकता है। लाखों ने मांसाहार तो क्या चाय, कॉफी, प्याज, लहसुन जैसे तामसी पदार्थों का सेवन छोड़कर शाकाहार शुरू कर दिया है। वे लगातार ‘हरे राम-हरे कृष्ण’ का कीर्तन भी करते रहते हैं। इस्कॉन ने पश्चिमी देशों में अनेक भव्य मन्दिर व विद्यालय बनवाये हैं। इस्कॉन के अनुयायी विश्व में गीता एवं हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं।
Jharkhand News: हजारीबाग जिला अंतर्गत चौपारण के नेशनल हाइवे-टू स्थित सियरकोनी घाटी (Siarconi Valley) में अब ज्ञान-विज्ञान एवं अध्यात्म की गंगा बहेगी। इसके लिए समाजसेवी संजय सिंह के परिजनों ने अनूठा दान दिया है। क्षेत्र में संस्कार, आत्मनिर्भर एवं धर्म के साथ ज्ञान-विज्ञान का विस्तार करने के लिए इस्कॉन की टीम को अभी दो एकड़ जमीन दान में दिया गया है।
सियरकोनी घाटी की बदलेगी पहचान
इस भूमि दान के बाद सियरकोनी घाटी की पहचान अब बदलेगी। अब यहां श्रीकृष्ण की आराधना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का काम इस्कॉन की टीम काम करेगी। फिलहाल सियरकोनी में गुरुकुल, मंदिर, गौशाला एवं कृषि कार्य होंगे।
गुरुकुल में वैदिक रीति-रिवाज से प्राचीन परंपरा के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जायेगी। सियरकोनी में मंदिर बनेगा एवं खेती के परंपरागत तरीके को किसानों को सीखाया जायेगा। नेचरोपैथी विधि से इलाज की जायेगी। सियरकोनी खुटाम, सिल्ली इस्कॉन से डॉ केश्वानंद, डॉ सरिता यादव, डॉ राजेश सिंह, डॉ प्रभाकर, अभयानंद प्रभु, विश्वनाथ प्रभु, जगेश्वर प्रभु, परमेश्वर प्रभु, अलंकृत त्रिपाठी, सभी ब्रह्मचारी,आईआईटीएन एवं आध्यात्मिक गुरु जनों ने स्थानीय प्रबुद्ध जन संजय सिंह के परिजनों के साथ तिरुपति के आचार्य श्रीनिवासन, समाजसेवी हरिश्चंद्र सिंह, मुखिया बिनोद सिंह, रामचंद्र सिंह, आशीष सिंह, आनंद चंद्रवंशी, दिलीप राणा, प्रभात सिंह के साथ मिलकर सबसे मुख्य योगदान दे रहे अभिषेक सिंह के साथ संकीर्तण से इसकी शुरुआत किया।
गुरुकुल पद्धति पर बहेगी ज्ञान की गंगा
इस बात की जानकारी देते हुए भुदाता परिवार के संजय एवं अभिषेक सिंह ने बताया कि जल्द ही साफ-सफाई के साथ सियरकोनी की पहचान बदलने वाली है। ज्ञान की गंगा, विज्ञान के साथ, अध्यात्म की शरण में, योग्य गुरु जनों की संगति में प्राचीन परंपरा गुरुकुल पद्धति पर बहेगी। यहां सब कुछ निःशुल्क होगा।

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