गोदाम के उद्घाटन से पहले ही निकल गया मरम्मत का टेंडर, निर्माण कार्य में बरती जा रही घोर अनियमितता।

गोदाम के उद्घाटन से पहले ही निकल गया मरम्मत का टेंडर, निर्माण कार्य में बरती जा रही घोर अनियमितता। 

2008 में टाटीझरिया के प्रखंड बनने के बाद भवन बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। सरकारी पैसों का दुरूपयोग,टाटीझरिया में करोड़ों की लागत से बने भवन का उपयोग नहीं। 


सार्वजनिक उपयोग के लिए टाटीझरिया में बनाए गए सामुदायिक अस्पताल भवन, बिजली सबस्टेशन भवन, ग्राम संसद भवन, डहरभंगा ग्रामसभा भवन स्टेडियम डहरभंगा, पर्यवेक्षक आवास, कर्मचारी आवास, एफसीआई गोदाम, औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र भवन, बीडीओ-सीओ आवास, पशु चिकित्सालय भवन बने भवनों का उपयोग नहीं!


टाटीझरिया प्रखंड में बने एसएफसी गोदाम का अब तक न तो उद्घाटन हुआ है और न ही उपयोग किया गया है लेकिन विभाग गोदाम की मरम्मत को लेकर इतना तत्पर है कि गोदाम के मरम्मत का टेंडर अभी से निकाल दिया है।

टाटीझरिया प्रखंड में बने एसएफसी गोदाम का अब तक न तो उद्घाटन हुआ है, और न ही उपयोग किया गया है लेकिन विभाग की तत्परता देखिए कि उसकी मरम्मत का टेंडर अभी से निकाल दिया है। वर्तमान में गोदाम के निर्माण कार्य के साथ-साथ गोदाम तक आने-जाने के लिए सड़क चौड़ीकरण किया जा रहा है। इसके पुनर्निर्माण कार्य में घोर अनियमितता बरती जा रही है, जिसे देखने वाला कोई नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि निर्माण कार्य प्रखंड कार्यालय के कैम्पस में ही हो रहा है, जहां प्रतिदिन जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक पदाधिकारियों का आवागमन लगा रहता है। यूं कहिए कि बीडीओ, सीओ, जेईएई लगभग आठ घंटे निर्माण कार्य को आते-जाते देखते ही हैं। इनके द्वारा कभी इस कार्य का निरीक्षण भी नहीं किया जाता। अधिकारियों के नाक के नीचे इस तरह का घटिया निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की कलई खोलने के लिए काफी है। निर्माण कार्य कर रहे मजदूरों से इस बाबत पूछने पर मजदूरों ने कहा कि वह क्या जाने। ठेकेदार के बारे में मजदूरों से पूछने पर पता चला कि ठेकेदार का नाम राजेश प्रसाद है, जो साइट पर मौजूद नहीं थे।

साइट पर न तो बोर्ड लगा था, न ही कोई कुछ बता सका कि यह निर्माण कार्य किस विभाग द्वारा कराया जा रहा है। जबकि कार्य के बाबत जानकारी बोर्ड में लिखकर निर्माण कार्य के समक्ष रखी जानी चाहिए। चाहे जो हो, निर्माण कार्य में सड़क के चौड़ीकरण में घटिया बंगला भट्टा का ईट बिछाया गया है, इसकी जांच की जाने की मांग स्थानीय प्रमुख संतोष मंडल, उप प्रमुख रवि वर्णवाल ने किया है।

2008 में टाटीझरिया के प्रखंड बनने के बाद भवन बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। 

उपयोगिता तय किए बिना बने भवनों में सरकारी पैसों का दुरूपयोग हुआ इन भवनों से आम व खास को कोई लाभ नहीं
टाटीझरिया प्रखंड में करोड़ों की लागत से बने कई भवन लोगों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। विभागीय लापरवाही की बानगी इन भवनों के नाम पर विकास के कई दावे किये गए किंतु इसे विडंबना कहें कि सार्वजनिक उपयोग के लिए टाटीझरिया में बनाए गए सामुदायिक अस्पताल भवन, बिजली सबस्टेशन भवन, ग्राम संसद भवन, डहरभंगा ग्रामसभा भवन स्टेडियम डहरभंगा, पर्यवेक्षक आवास, कर्मचारी आवास, एफसीआई गोदाम, औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र भवन, बीडीओ-सीओ आवास, पशु चिकित्सालय भवन प्रासंगिक नहीं सिद्ध हो रहे हैं। 2008 में टाटीझरिया के प्रखंड बनने के बाद आनन-फानन में भवन बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। उपयोगिता तय किये बगैर बनाये गए इन भवनों में सरकारी पैसों का खुलकर दुरूपयोग हुआ और इन भवनों से आम व खास को कोई लाभ हासिल नहीं हुआ। बहरहाल जरूरत इस बात की है कि सरकारी महकमे में हो रही गड़बड़ियों के प्रति विभाग संज्ञान लें और इन भवनों की जांच उच्चस्तरीय कमेटी द्वारा कराएं ताकि सरकारी राशि के दुरूपयोग की संभावना कम हो।

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