हजारीबाग के समीर ने स्पेस तकनीक में किया कमाल, अब नासा के साथ करेगा काम।

हजारीबाग चौपारण के महाराजगंज के रहने वाले मो समीर ने स्पेस तकनीक में किया कमाल, अब नासा के साथ करेगा काम।


चौपारण के महाराजगंज के रहने वाले मो समीर ने झारखंड का नाम रोशन किया है। नासा ने समीर द्वारा स्पेस तकनीक पर बनाए गए क्यूब सेटेलाइट को शार्टलिस्ट किया है। समीर को उसके क्यूब प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए जल्द ही नासा से बुलावा आने वाला है।


चौपारण के महाराजगंज निवासी मो समीर इसकी एक मिसाल हैं। समीर बैंगलुरू के दयानंद सागर कालेज आफ इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रॉनिक एवं टेलीकम्युनिकेशन में प्रथम वर्ष के छात्र हैं। समीर के प्रतिभा का लोहा स्पेस रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था नासा ने भी माना है।

नासा ने किया प्रोजेक्ट को शार्टलिस्ट

नासा ने समीर के द्वारा स्पेस तकनीक पर बनाए गए क्यूब सेटेलाइट को शार्टलिस्ट कर लिया है। करीब एक साल से समीर अपने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान ही समीर को नासा के यूनिवर्सिटी स्टूडेंट रिसर्च चैलेंज के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद समीर ने आनलाइन ही इसके लिए आवेदन किया था।

दो दिसंबर को समीर को जानकारी मिली कि नासा ने उसके प्रोजेक्ट के शार्टलिस्ट कर लिया है। नासा द्वारा प्रोजेक्ट शार्टलिस्ट होने के बाद समीर को प्रोजेक्ट के साथ जल्द ही बुलावा आने वाला है। इसके लिए उसने अभी से ही अमेरिका जाने की तैयारियां शुरू कर दी है। समीर ने बताया कि, शुरू से ही उसकी दिलचस्पी स्पेस तकनीक में रही है। प्रोजेक्ट को लेकर कालेज से उन्हें मदद भी मिली है। उसने बताया कि, महज 10 से 12 लाख रुपये में इस प्रोजेक्ट को तैयार किया जा सकता है।


समीर ने क्यूब सेटेलाइट का जो प्रोजेक्ट तैयार किया है, उसे अपना नाम सैम-सेट दिया है। महज दस सेमी का यह सेटेलाइट धरती के निचले आर्बिट में स्थापित होगा। इससे टेलीकम्युनिकेशन सर्विस काफी तेज हो जाएगी। रिमोट सेंसिंग, जीपीएस, धरती और मंगल ग्रह के सतहों की तस्वीर खींचने में काम आएगा। उसने बताया कि, यह काफी सस्ता है। उसने स्वयं इसके डिजाइन, बोर्ड कंप्यूटर आदि विकसित किया है। यदि नासा इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देता है तो तकनीक दुनिया में क्रांति आ जाएगी।

बेहद साधारण परिवार का है मो समीर

चौपारण के महाराजगंज के रहने वाले समीर बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता मो. शमशेर मोटरसाइकिल और कार की सीट कवर बनाने काम करते हैं। समीर की प्रतिभा को देखते हुए उनके पिता ने हमेशा अपने बेटे का हौसला बढ़ाया।

समीर ने बिना रिमोट के उड़ने वाला ड्रोन का निर्माण भी किया है। यह तीन मोड में चलता है। मैनुअल मोड, जीपीएस मोड और गेस्चर मोड। यह चलाने वाले व्यक्ति को स्कैन करके काम करेगा। इसका इस्तेमाल स्पेस रिसर्च, आपात काल में दवा, भोजन आदि पहुंचाने में किया जा सकता है।

समीर ने विश्व के सबसे बड़े इंजीनियरिंग कालेज मैसाचुसेट्स इंजीनियरिंग कॉलेज से आनलाइन दस सप्ताह की क्लास साफ्टवेयर टेक्नोलॉजी को लेकर की। युनिवर्सिटी आफ पेनसिल्वेनिया से रोबोटिक्स का और इसरो से आनलाइन रिमोट सेंसिंग का कोर्स किया। 



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