हजारीबाग जिले के सरकारी विद्यालयों के तीसरी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के खाते में डीबीटी किए गए राशि ड्रेस के लिए कम पड़ जा रही है।

हजारीबाग जिले के सरकारी विद्यालयों के तीसरी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के खाते में डीबीटी किए गए राशि ड्रेस के लिए कम पड़ जा रही है।

हजारीबाग जिले में तीसरी से आठवीं कक्षा में एक लाख छह हजार विद्यार्थी हैं।

तीसरी से पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के खाते में प्रति बालक ₹600 भेजे गए हैं। वहीं छठी से आठवीं के लिए 720 रुपए!

बाजार में बालक का एक सेट ड्रेस न्यूनतम 550 रुपए और बालिका के लिए एक सेट सलवार कमीज दुपट्टा में 500 रुपए लग जा रहे हैं। एक सेट ड्रेस लेने के बाद 170 से 210 रुपए ही बचते हैं। उक्त राशि से स्वेटर और जूता खरीदना असंभव है।

झारखंड शिक्षा परियोजना और विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) में आपसी तालमेल सही नहीं जिससे अभिभावक परेशान। 

पहले राशि विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) को भेजी गई थी। समितियों ने दो सेट ड्रेस, जूता मोजा और स्वेटर बांट दिया। दरअसल प्रबंधन समिति में एक साथ 50 से 200 बच्चों की पोशाक होलसेल रेट से खरीद लिया। बच्चों में बांट दिया।

हजारीबाग जिले के सरकारी विद्यालयों के तीसरी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थी और उनके अभिभावक, स्कूल ड्रेस की खरीददारी में परेशान हैं। विद्यार्थियों के खाते में झारखंड सरकार द्वारा डीबीटी किए गए राशि ड्रेस के लिए कम पड़ जा रही है। भेजी गई राशि से दो सेट की बजाय एक सेट ड्रेस ही मिल पा रहा है। सरकार से पोशाक के लिए निर्धारित राशि और बाजार मूल्य में लगभग 40 प्रतिशत का अंतर है। हजारीबाग जिले में तीसरी से आठवीं कक्षा में एक लाख छह हजार विद्यार्थी हैं। तीसरी से पांचवीं कक्षा के विद्यार्थियों के खाते में प्रति बालक 600 रूपए भेजे गए हैं। उक्त रकम में से 350 रुपए से दो हाफ शर्ट, दो हाफ पैंट लेना है। 150 रुपए से एक स्वेटर और 100 रुपए से एक जोड़ी स्कूल शू और मोजा खरीदना है। बालिका के उक्त राशि से पैंट की जगह स्कर्ट खरीदना है। बाजार में न्यूनतम 300 रुपए में एक सेट ड्रेस मिल रहा है। दो की जगह एक सेट की खरीदारी हो रही है।

छठी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के खाते में प्रति बालक 720 रूपए भेजे गए हैं।

उक्त कक्षा के विद्यार्थियों को डीबीटी किए गए राशि से बालक के दो फूल शर्ट और दो फुलपैंट, एक स्वेटर और जूता मोजा लेना है। बालिका को दुपट्टा सहित दो सेट सलवार कमीज, एक स्वेटर और जूती और मोजा लेना है। बाजार में बालक का एक सेट ड्रेस न्यूनतम 550 रुपए और बालिका के लिए एक सेट सलवार कमीज दुपट्टा में 500 रुपए लग जा रहे हैं। एक सेट ड्रेस लेने के बाद 170 से 210 रुपए ही बचते हैं। उक्त राशि से स्वेटर और जूता खरीदना असंभव है।

झारखंड शिक्षा परियोजना को विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) अविश्वास की नजर से देखता है।

पोशाक की राशि उपलब्ध कराने वाली झारखंड शिक्षा परियोजना को विद्यालय प्रबंधन समिति (एस.एम.सी.) अविश्वास की नजर से देखता है। इसी को लेकर तीसरी से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की राशि डीबीटी की जा रही है। मिली राशि से मात्र 20 से 25 प्रतिशत अभिभावक ड्रेस खरीद रहे हैं। लगभग 30 प्रतिशत बच्चों के खाते में राशि नहीं पहुंची है। यही वजह है कि पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे स्कूल ड्रेस पहन कर आते हैं और तीसरी से आठवीं कक्षा के बच्चे दूसरे ड्रेस नजर आ रहे हैं। इस संबंध में आजप्ता जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार ने कहा कि अभिभावकों की राशि दूसरे कार्यों में खर्च कर देते हैं। शिक्षक अभिभावक से ड्रेस खरीदवाने में परेशान रहते हैं। हजारीबाग में पहली और दूसरी कक्षा के 42 हजार विद्यार्थियों के पोशाक, स्वेटर और जूता मोजा की राशि विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) को भेजी गई थी। समितियों ने दो सेट ड्रेस, जूता मोजा और स्वेटर बांट दिया। दरअसल प्रबंधन समिति में एक साथ 50 से 200 बच्चों की पोशाक होलसेल रेट से खरीद लिया। बच्चों में बांट दिया।

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