चरही सीसीएल के कोलियरियों से कोयला लोड कर तेज रफ्तार में चलते हाइवा से हमेशा सड़क दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है।

चरही सीसीएल के कोलियरियों से कोयला लोड कर तेज रफ्तार में चलने हाइवा से हमेशा सड़क दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। 

कई हाईवा ड्राइवर के पास लाइसेंस भी नहीं हैं। फिर भी हाईवा मालिक वाहन चलाने के लिए दिए हुए हैं।

तापिन साउथ एवं नॉर्थ, लईयो और झारखंड कोलियरी से निकलने वाले हाइवा पर तीरपाल से बंधा नहीं होता है। 

मोड़ में तेज रफ़्तार से चलते हुए हाइवा से कई बार कोयला गिरने से कई राहगीर और वाहन चालक घायल हो चुके हैं।


चरही सीसीएल के कोलियरियों से कोयला लोड कर तेज रफ्तार में चलने हाइवा से हमेशा सड़क दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। लोगों को सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। अगर लोग संभल कर नहीं चले तो कभी भी दुर्घटना घट सकती है। प्रतिदिन दर्जनों हाइवा चलते हैं। इतना ही नहीं कोयला लोड हाइवा से कोयला सड़क पर कभी भी लोगों के ऊपर गिर सकता है। मोड़ में तेज रफ़्तार से चलते हुए हाइवा से कई बार कोयला गिरने से कई राहगीर और वाहन चालक घायल हो चुके हैं। कुछ चालक, कोयला लोड हाइवा पर तिरपाल तो लगा लेते हैं। वहीं कुछ हाईवा चालक मात्र औपचारिकता पूरा करने के लिए नाम मात्र का तिरपाल ढंककर चलते हैं। कुछ तो बिना तिरपाल के चल रहे हैं। जबकि नियम है कि सभी कोयले से लदे हाईवा तिरपाल से ढंकी हो। ताकि सड़कों पर तथा किसी के ऊपर कोयला न गिर सके। लेकिन इस नियम का पालन कम ही चालक कर रहे हैं। वाहन के कई चालक नवसीखिए हैं। कई के पास लाइसेंस भी नहीं हैं। फिर भी हाईवा मालिक वाहन चलाने के लिए दिए हुए हैं। इन चालकों की रफ्तार भी कम नहीं होती। जिस कारण राहगीरों और अन्य वाहन चालकों में हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है। तापिन साउथ एवं नॉर्थ, लईयो और झारखंड कोलियरी से निकलने वाले हाइवा पर तीरपाल से बंधा नहीं होता है। तेज रफ्तार से चलने वाले हाइवा से कोयला सड़कों पर गिरते रहते हैं। अगर तेज रफ्तार से चलने वाले हाईवा चालकों पर अंकुश लगाया जाए तो काफी हद तक सड़क दुर्घटना पर काबू पाया जा सकता है।चरही सीसीएल के कोलियरियों से कोयला लोड कर तेज रफ्तार में चलने हाइवा से हमेशा सड़क दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। लोगों को सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। अगर लोग संभल कर नहीं चले तो कभी भी दुर्घटना घट सकती है। प्रतिदिन दर्जनों हाइवा चलते हैं। इतना ही नहीं कोयला लोड हाइवा से कोयला सड़क पर कभी भी लोगों के ऊपर गिर सकता है। मोड़ में तेज रफ़्तार से चलते हुए हाइवा से कई बार कोयला गिरने से कई राहगीर और वाहन चालक घायल हो चुके हैं। कुछ चालक, कोयला लोड हाइवा पर तिरपाल तो लगा लेते हैं। वहीं कुछ हाईवा चालक मात्र औपचारिकता पूरा करने के लिए नाम मात्र का तिरपाल ढंककर चलते हैं। कुछ तो बिना तिरपाल के चल रहे हैं। जबकि नियम है कि सभी कोयले से लदे हाईवा तिरपाल से ढंकी हो। ताकि सड़कों पर तथा किसी के ऊपर कोयला न गिर सके। लेकिन इस नियम का पालन कम ही चालक कर रहे हैं। वाहन के कई चालक नवसीखिए हैं। कई के पास लाइसेंस भी नहीं हैं। फिर भी हाईवा मालिक वाहन चलाने के लिए दिए हुए हैं। इन चालकों की रफ्तार भी कम नहीं होती। जिस कारण राहगीरों और अन्य वाहन चालकों में हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है। तापिन साउथ एवं नॉर्थ, लईयो और झारखंड कोलियरी से निकलने वाले हाइवा पर तीरपाल से बंधा नहीं होता है। तेज रफ्तार से चलने वाले हाइवा से कोयला सड़कों पर गिरते रहते हैं। अगर तेज रफ्तार से चलने वाले हाईवा चालकों पर अंकुश लगाया जाए तो काफी हद तक सड़क दुर्घटना पर काबू पाया जा सकता है।

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