जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का पद स्वीकृत करने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। जिन स्कूलों में पद स्वीकृत है उसमें भी लगभग 50 प्रतिशत शिक्षकों का पद रिक्त है।
जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का पद स्वीकृत करने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। जिन स्कूलों में पद स्वीकृत है उसमें भी लगभग 50 प्रतिशत शिक्षकों का पद रिक्त है।
स्कूलों में शिक्षकों का पद कब स्वीकृत किया जाएगा। इसे लेकर कोई भी संबंधित शिक्षा पदाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नही है।
जिले में 662 सरकारी नव प्राथमिक एवं उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय है।
प्राथमिक स्कूलों को सूचारू रूप से संचालित करने के लिए कम से कम प्रत्येक विद्यालय में पांच-पांच शिक्षक होना चाहिए।
शहर के कई ऐसे स्कूल है जहां जितनी क्लास है उतना क्लास रूम नही है।
जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का पद स्वीकृत करने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। जिन स्कूलों में पद स्वीकृत है उसमें भी लगभग 50 प्रतिशत शिक्षकों का पद रिक्त है। ऐसे में सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले में 662 सरकारी नव प्राथमिक एवं उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय है।
इन स्कूलों में शिक्षकों का पद स्वीकृत ही नही किया गया। वर्षो से मामला अटका पड़ा है। इन स्कूलों में शिक्षकों का पद कब स्वीकृत किया जाएगा। इसे लेकर कोई भी संबंधित शिक्षा पदाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नही है। दबे जुबान से सिर्फ इतना ही कहते यह राज्य सरकार का मामला है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का इससे क्या लेना देना है। स्कूली बच्चों को तो शिक्षक से मतलब है। इन स्कूलों को किसी तरह पारा शिक्षक जिनको अब सहायक शिक्षक का दर्जा दिया गया है। उनके भरोसे चल रहा है। प्राथमिक स्कूलों को सूचारू रूप से संचालित करने के लिए कम से कम प्रत्येक विद्यालय में पांच-पांच शिक्षक होना चाहिए। इन स्कूलों में शिक्षक नाम के ही है। प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों की हालत भी कमोवेश नव प्राथमिक एवं उत्क्रमित प्राथमिक स्कूलों जैसा ही है। स्कूलों में जितनी कक्षाएं चलती हैं उतने शिक्षक भी नही है। शहर के कई ऐसे स्कूल है जहां जितनी क्लास है उतना क्लास रूम नही है। हाल ही में शिक्षा सचिव के हजारीबाग दौरा के दौरान इसका खुलासा हुआ। प्राथमिक विद्यालय हिन्दी मटवारी में एक ही क्लास रूम में दो क्लास के बच्चों बैठ कर दो शिक्षक पढ़ा रहे थे। यह तो एक बानगी है ऐसा ही स्थिति जिले के कई सरकारी स्कूलों की है।

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