दरगाह आला हजरत से ऐलान शादी में बैंड-बाजा, डीजे व आतिशबाजी तो निकाह न पढ़ाये मौलवी-काज़ी। एक फतवा जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अगर जिस भी मुस्लिम की शादी में डीजे बजेगा और आतिशबाजी होगी तो उसके घर पर निकाह में किसी भी तरह से कोई भी आलिम शामिल नहीं होगा।
दरगाह आला हजरत से ऐलान शादी में बैंड-बाजा, डीजे व आतिशबाजी तो निकाह न पढ़ाये मौलवी-काज़ी।
एक फतवा जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अगर जिस भी मुस्लिम की शादी में डीजे बजेगा और आतिशबाजी होगी तो उसके घर पर निकाह में किसी भी तरह से कोई भी आलिम शामिल नहीं होगा।
मज़हब-ए-इस्लाम मे बढ़ती सामाजिक बुराईयाँ जैसे शादियों में बैंड-बाजा, ढोल-ताशा, डीजे, आतिशबाजी, नाच- गाना, जहेज़ (दहेज़) की मांग व फुज़ूलखर्ची पर दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने फ़िक्र ज़ाहिर करते हुए देश भर के सभी काज़ी व मौलवियों से अपील की कि जिन शादियों में बैंड-बाजा, डीजे व आतिशवाजी हो उनके निकाह हरगिज़ न पढ़ाए।
उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि शादी के नाम पर गैर शरई कामों को अंजाम दिया जा रहा है। लड़की वालों से जहेज़ की मांग की जा रही है। जिसको किसी भी सूरत में सही नही ठहराया जा सकता। जहेज़ की नुमाइश पर भी रोक लगाने को कहा। आगे कहा कि जहेज़ की मांग जैसी बुराई का उदाहरण हाल ही में गुजरात की आयशा के साथ हुआ हादसा है। जहेज़ की बिना पर गरीब लड़कियां घरों में बैठी है।
सज्जादानशीन ने कहा, अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक्म दिया। डीजे, ढोल-बाजे और आतिशवाजी इस्लाम मे नाजायज़ और हराम है। इसको सख्ती से रोका जाए। साथ ही इस पर पांबदी लगाने का सामाजिक मकसद फुज़ूलखर्ची रोकने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण और रास्तों में आम लोगों को होने वाली परेशानियाँ रोकना है।
सज्जादानशीन की अपील को सोशल मीडिया के द्वारा देश भर के उलेमा को भेजा जा रहा है। इस मसले पर काज़ी और मौलवियों की एक बैठक दरगाह पर बुलाई जाएगी। जिसमें अपील की जाएगी कि उलेमा, काज़ी और मौलवी देश भर में सज्जादानशीन का पैगाम उर्स की महफ़िलों, जलसों व जुमे की नमाज़ में आम लोगो तक पहुंचाए।
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