अब नहीं बच पाएंगे क्रिमिनल: झारखंड में क्राइम कर दूसरे राज्यों में छिप जाते हैं अपराधी, दोबारा वारदात करते ही NAFIS के जरिए पकड़े जाएंगे। फिंगर प्रिंट से खुलेगी अपराधी की कुंडली जानिए सिस्टम 👇🏻
अब नहीं बच पाएंगे क्रिमिनल: झारखंड में क्राइम कर दूसरे राज्यों में छिप जाते हैं अपराधी, दोबारा वारदात करते ही NAFIS के जरिए पकड़े जाएंगे। फिंगर प्रिंट से खुलेगी अपराधी की कुंडली जानिए सिस्टम 👇🏻
नफीस एक फिंगर प्रिंट सिस्टम डिवाइस है। इसे नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आडेंटिफिकेशन सिस्टम कहते हैं। गिरफ्तार अपराधियों के दोनों हथैली का प्रिंट इस डिवाइस से लिया जाता है। फिंगर प्रिंट को नफीस पोर्टल पर डाल कर सुरक्षित रख लिया जाता है। चोरी, लूट, डकैती, हत्या, नक्सल जैसी घटनाओं का अंजाम देनेवाले अपराधियों की पहचान इस डिवाइस से की जा रही है।
हजारीबाग: जेल से छूटे अपराधी दोबारा अपराध करने पर शीघ्र ही पकड़े जायेंगे। हजारीबाग पुलिस के पास अब नफीस मशीन उपलब्ध है। इस नफीस डिवाइस में जेल जाने वाले सभी अपराधकर्मियों का फिंगर प्रिंट लिया जाता है। अपराधी जब जेल से निकलेंगे, तो दूसरा अपराध करने पर उसकी पहचान फिंगर प्रिंट से हो जायेगी। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी तुरंत हो जायेगी। जिले में गिरफ्तार 250 अपराधियों का फिंगर प्रिंट लिया गया है। सभी का रिकॉर्ड नफीस डिवाइस में स्टोर है। उक्त अपराधियों के जेल से बाहर निकलने पर दूसरा अपराध करने पर फिंगर प्रिंट से शीघ्र ही पहचान कर ली जायेगी।
नफीस पोर्टल पर डाल दिया जाता है फिंगर प्रिंट :
सीसीआर डीएसपी आरिफ एकराम ने कहा कि जेल जाने वाले सभी अपराधियों का फिंगर प्रिंट लेकर नफीस पोर्टल में डाल दिया जाता है। इस पोर्टल में रखे गये फिंगर प्रिंट से राज्य के सभी जिले के पुलिस अपराधियों की पहचान आसानी से कर सकते हैं। हजारीबाग में नफीस डिवाइस लगे छह माह बीत गये हैं। इसमें 250 से अधिक अपराधियों का फिंगर प्रिंट लिया गया है।
क्रिमिनल्स की गर्दन नापने के लिए NAFIS (नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम) पैर जमा चुका है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के 18 राज्यों में इसे जनवरी 2022 से लागू किया गया है। इसमें घटना के बाद स्पॉट से मिले फिंगर प्रिंट अपलोड किए जाते हैं। जैसे ही, वह अपराधी देश में कहीं भी दूसरी वारदात करता है। वहां उसके फिंगर प्रिंट मैच होते हैं, तो पहला मामला खुद ही ट्रैस हो जाता है। इसकी मदद से केस को सॉल्व करने में मदद मिलेगी।
जनवरी से मार्च 2022 के बीच मध्यप्रदेश में नफिस की मदद से 26 ऐसे क्राइम, जिनकी फाइल बंद हो चुकी थी, उनमें अपराधियों की पहचान हुई है। केस वापस खुले हैं। ग्वालियर में साल 2021 में हुई एक चोरी का कनेक्शन गुजरात से जुड़ा है। यहां चोर ने गुजरात में चोरी की। वहां मिले फिंगर प्रिंट से उसकी पहचान हो गई है।
क्या है NAFIS
यह NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) का प्रोजेक्ट है। इसके जरिए 18 राज्यों की पुलिस टीम को एक-दूसरे के राज्यों के अपराधियों के रिकॉर्ड दिए गए हैं। राज्यों में कितने अपराधी एक्टिव हैं, उनके नाम-पते के अलावा उनके फिंगर प्रिंट NAFIS में अपलोड किए हैं। इसका फायदा यह होता है कि अपराधी इनमें से किसी भी राज्य में अपराध करता है, तो अपराध NAFIS में दर्ज किए जाते हैं। अपराधी का ब्यौरा सिस्टम में दर्ज होता है, तो NAFIS से उसकी पहचान हो जाती है कि अपराधी कौन है। कहां का रहने वाला है।
जनवरी 2022 में लॉन्च किया था।
देशभर के 18 राज्यों को NAFIS से कनेक्ट कर जनवरी 2022 में लॉन्च किया गया है। इसकी निगरानी NCRB करती है। अभी तक यह होता था कि ऐसे मामलों में स्पॉट के फिंगर प्रिंट भोपाल भेजे जाते थे। वहां से मैच के लिए अन्य जगह भेजे जाते थे। यदि मिलान हुआ तो ठीक है, नहीं तो आरोपी का पता चलने में काफी समय लग जाता था। NAFIS में थंब या फिंगर का इंप्रेशन अपलोड करते ही देश में जहां भी यह सिस्टम लागू है, वहां उसे रीड कर पल भर में मैच की डिटेल मिल जाती है। यदि फिंगर प्रिंट मैच हो जाते हैं, तो अपराधी की कुंडली पुलिस के हाथ में होती है।
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