Jharkhand Municipal Elections: झारखंड में दिसंबर-जनवरी में नगर निकाय चुनाव। इस दिन होगी तिथियों की घोषणा!

Jharkhand Municipal Elections:  झारखंड में दिसंबर-जनवरी में नगर निकाय चुनाव।  

इस दिन होगी तिथियों की घोषणा!

यह चुनाव वार्ड सदस्य तथा अध्यक्ष (नगरपालिका)/मेयर (नगर निगम) पद के लिए होगा। चुनाव के तुरंत बाद उपाध्यक्ष/डिप्टी मेयर का अप्रत्यक्ष चुनाव होगा, जिसमें चुने गए वार्ड सदस्य वोट डालेंगे।

ओबीसी की आरक्षित सीटों को ओपेन सीट मानते हुए चुनाव होंगे। 


Jharkhand Municipal Elections बिना ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने के राज्य सरकार के निर्णय के बाद राज्य में शीघ्र चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग भी चुनाव कराने को तैयार है। अबतक की तैयारी के अनुसार, इस साल के दिसंबर तथा अगले साल जनवरी माह में चुनाव हो सकता है। इस माह के अंतिम सप्ताह या नवंबर माह के पहले सप्ताह में चुनाव की घोषणा हो सकती है। 

ओबीसी की आरक्षित सीटों को ओपेन सीट मानते हुए निकाय चुनाव कराने के राज्य मंत्रिपरिषद के निर्णय के बाद इसका गजट प्रकाशन होगा। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तिथियां तय करते हुए उसपर नगर विकास विभाग तथा राज्यपाल से स्वीकृति लेगा। इसके बाद चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही नगर निकाय क्षेत्रों में आचार संहिता लागू हो जाएगा।

इधर, राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर सभी जिलों में मतदान केंद्रों का प्रकाशन कार्य शुरू हो गया है। इसपर मतदाताओं की आपत्तियां लेकर अंतिम रूप से मतदान केंद्रों का प्रकाशन किया जाएगा। साथ ही सभी जिलों में मतदाता सूची का विखंडन भी शुरू हो गया है। एक जनवरी 2022 को अर्हता तिथि मानते हुए मतदाता सूची तैयार की जा रही है। 

इसी अर्हता तिथि के आधार पर ही पंचायत चुनाव भी हुआ था। बता दें कि यह चुनाव वार्ड सदस्य तथा अध्यक्ष (नगरपालिका)/मेयर (नगर निगम) पद के लिए होगा। चुनाव के तुरंत बाद उपाध्यक्ष/डिप्टी मेयर का अप्रत्यक्ष चुनाव होगा, जिसमें चुने गए वार्ड सदस्य वोट डालेंगे।

ओबीसी को आरक्षण से वंचित करने के लिए सरकार जिम्मेदार: सुदेश

आजसू पार्टी ने बिना ओबीसी आरक्षण के नगर निकाय चुनाव कराने का कड़ा विरोध किया है। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण का लाभ देने में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण से वंचित हो रहे हैं तो इसके लिए हेमंत सरकार जिम्मेदार है। सुदेश ने कहा कि इसी साल हुए पंचायत चुनाव भी बिना ओबीसी आरक्षण के हुआ था। पंचायत चुनाव में ओबीसी के लिए आरक्षित विभिन्न स्तर के हजारों पदों को समाप्त कर दिया गया। अब नगर निकाय चुनाव में ऐसा किया गया।

आजसू प्रमुख ने कहा, जानबूझकर नहीं कराया ट्रिपल टेस्ट

उन्होंने कहा कि यदि सरकार ट्रिपल टेस्ट कराती तो ओबीसी की हकमारी नहीं होती। उनके अनुसार, आजसू पार्टी ने विधानसभा के बजट सत्र में सदन के अंदर और बाहर इसकी मांग करती रही कि ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराए जाएं। सुदेश ने कहा कि पिछले दिनों सरकार ने एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट में मंजूरी दी है लेकिन उसे व्यवहार में लाने अथवा प्रस्ताव को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है, जबकि राज्य की बड़ी आबादी को इस फैसले पर अमल का बेसब्री से इंतजार है।

आंदोलन करेगा ओबीसी मोर्चा

राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने बगैर पिछड़ा वर्ग आरक्षण के स्थानीय निकाय चुनाव कराने का विरोध किया है। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि इसके खिलाफ आंदोलन आरंभ होगा। मोर्चा के प्रतिनिधि सभी दलों के प्रमुख नेताओं से मिलकर विरोध दर्ज कराएंगे। उन्होंने ओबीसी विधायकों से आग्रह किया कि वे सरकार की नीति का विरोध करें। राज्य सरकार को भी ओबीसी समुदाय का विरोधी बनने से बचना चाहिए। पंचायत चुनाव भी बगैर ओबीसी आरक्षण के संपन्न कराया गया। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में पिछड़ों का अस्तित्व समाप्त करने की कोशिश है।


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