मानसिक स्वास्थ्य दिवस: इंटरनेट एडिक्ट हो चुके हैं हजारीबाग के 15 हजार से अधिक युवा, जानें इससे बचने के उपाय👇
मानसिक स्वास्थ्य दिवस: इंटरनेट एडिक्ट हो चुके हैं हजारीबाग के 15 हजार से अधिक युवा, जानें इससे बचने के उपाय👇
आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है।
यह एक वैश्विक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में अधिक जागरूकता बढ़ाना है। वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (डब्ल्यूएफएमएच) द्वारा इस वर्ष की थीम 'एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य' रखी गई है।
हजारीबाग समेत पूरे झारखंड में खासकर कोरोना काल में करीब 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसे ऑनलाइन एडिक्शन व गेमिंग एडिक्शन कहते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इस एडिक्शन के शिकार जिले में 15 हजार से अधिक बच्चे, युवक व किशोर हैं।
हजारीबाग: शहर के गोला रोड स्थित एक केंद्रीय कर्मचारी का बेटा ऑनलाइन गेम में सात लाख रुपये हार चुका है। इस रकम को उसने माता-पिता के डेबिट कार्ड से भुगतान किया। युवक शहर के ही एक बड़े प्राइवेट स्कूल का क्लास 11वीं का छात्र है। इसी तरह यशवंत नगर निवासी एक युवा ठेकेदार ऑनलाइन गेमिंग की लत में पिछले दो साल में करीब 12 लाख रुपये हार चुका है। इसके लिए उसने बैंक से लोन भी ले रखा है। मटवारी के एक सिपाही का 8 वर्षीय पुत्र अपने पिता के डेबिट कार्ड से मेहनत के लाखों रुपए गंवा चूका है।
युवक व किशोर हो रहे अधिक शिकार
लत इस कदर है कि उसका मन अब ठेकेदारी व अन्य कामों में नहीं लग रहा है। इसमें एक युवक का इलाज आइजीआइएमएस व एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है। इस तरह मामले हजारीबाग समेत पूरे झारखंड में खासकर कोरोना काल में करीब 30 प्रतिशत तक बढ़े हैं। इसे ऑनलाइन एडिक्शन व गेमिंग एडिक्शन कहते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इस एडिक्शन के शिकार जिले में 15 हजार से अधिक बच्चे, युवक व किशोर हैं।
बच्चे व किशोर हैं ज्यादा शिकार
आइएमए बिहार चैप्टर व हेल्दी माइंड फाउंडेशन बिहार के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने बताया कि इंटरनेट एडिक्शन और ऑनलाइन गेमिंग के नशे की जद में बच्चे और किशोर अधिक हैं। बच्चे चिड़चिडपन के शिकार भी हो रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग और इंटरनेट एडिक्शन का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है। यही वजह है कि ये गेम नशे की लत में तब्दील हो जाते हैं। ऑनलाइन गेम के संचालक भी नशे की लत को बढ़ाने के लिए खेल में नये प्रयोग करते हैं। नतीजतन बच्चे या किशोर जल्दी इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। इस गेम के रोमांच में वह चोरी या अपराध करने से भी नहीं हिचकते हैं।
मोबाइल और इंटरनेट टाइम को फिक्स कर लें
मनोचिकित्सक डॉ सौरभ कुमार ने कहा कि इंटरनेट एडिक्शन एक खतरनाक बीमारी है। यह मरीज को दिमागी तौर पर कमजोर करने लगता है। उन्होंने कहा कि अगर आप मोबाइल और इंटरनेट का समय सीमित कर देते हैं, तो आपको दूसरे कामों के लिए भी वक्त मिलता है। अपने मोबाइल और इंटरनेट के समय को फिक्स कर दें। वहीं, अगर बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत मनोरोग विशेषज्ञ से मिल कर काउसेंलिंग करानी चाहिए।
इंटरनेट एडिक्शन से बचने के लिए ये करें
➡️अपने फोन का मोबाइल डाटा ऑफ रखें, जब जरूरत हो, तभी ऑन करें और फिर ऑफ कर दें।
➡️स्मार्टफोन का इस्तेमाल सीमित करें, अगर बीमारी के लक्षण दिखायी देने लगे, तो मोबाइल का प्रयोग बंद कर दें या फीचर फोन रखें।
➡️फोन को अपने से ज्यादातर समय दूर रखें, जब कोई जरूरत हो, तभी उसे उठाएं।
➡️बच्चों को फोन के विकल्प के बदले उन्हें आउटडोर खेलों में भेजें, स्वयं भी जाएं और बच्चों को भी ले जाएं।
➡️पेरेंट्स समय-समय पर बच्चों के फोन में डाउनलोड किये हुए एप चेक करते रहें।
➡️मोबाइल में पेरेंटल कंट्रोल लगाएं।
➡️सामाजिक बनें और लोगों से मिलना-जुलना शुरू करें।
➡️सुबह जल्दी उठें, प्राणायाम करें।
अच्छे स्वास्थ्य से ही जीवन, बीमारी से सब कुछ दुर्गम।
➡️ तनाव मुक्त रहें, खूब हंसे और हंसाए।
कर्म है हर मनुष्य का कर्तव्य, स्वस्थ हो तभी प्राप्त करेगा लक्ष्य।
➡️मुसीबतों का हिम्मत से सामना करें।
स्वस्थ रहे शरीर तो संभव है हर काम, स्वास्थ्य यदि साथ हो तो तय करे हर मुकाम ।
➡️खेलकूद में रूचि बढ़ाएं,फलों से दोस्ती करें।
योग प्राणायाम और ध्यान करे , रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़े।
➡️दूसरों की मदद करें यह मन को संतोष देगा।
रोग का कारण अनियमित जीवन, जागरूक हों और लाएँ संतुलन।
➡️खान-पान के प्रति लापरवाह ना रहें और ना ही आवश्यकता से अधिक आहार लें।
➡️प्रतिदिन 10 मिनट योग करें, रोग-दोष को दूर करें।
➡️ ईश्वर के प्रति आस्थावान रहें।
स्वास्थ्य के प्रति बनें जागरूक, सफल जीवन का रुख।
➡️नहाना,खाना और सोना ये तीन काम हमेशा समय से करें।
स्वच्छता से स्वास्थ्य बनें, स्वास्थ्य से जीवन बने।
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