किस्त देने में हुई देरी , वसूली एजेंटों ने किसान की गर्भवती बेटी को ट्रैक्टर से कुचला

किस्त देने में हुई देरी , वसूली एजेंटों ने किसान की गर्भवती बेटी को ट्रैक्टर से कुचला 

 
ट्रैक्टर से कुचली गयी मोनिका थी गर्भवती, एक साथ गयी दो जानें। 

झारखंड के हजारीबाग में फाइनेंस कंपनी का क्रूर चेहरा सामने आया है। जहां लोन पर लिए ट्रैक्टर के कुछ रकम बाकी होने पर ट्रैक्टर ले जा रहे फाइनेंस कंपनी के अधिकारी से जब दिव्यांग किसान की बेटी ने आई कार्ड दिखाने की मांग की तो फाइनेंस कंपनी के अधिकारी ने गुस्से में आकर किसान की 27 साल की बेटी को ट्रैक्टर से कुचल डाला। युवती की मौत हो गई। बताया जाता है कि मोनिका तीन माह की गर्भवती भी थी। हजारीबाग के इचाक में यह जघन्य घटना हुई है। वसूली एजेंट कर्ज की किस्त में देरी पर ट्रैक्टर जब्त करने आए थे। 

बकाए को लेकर विवाद के बाद जबरन ट्रैक्टर ले जाने लगे। बेटी ने रोकना चाहा तो उसी ट्रैक्टर से रौंद दिया। मिथिलेश ने बताया कि उन्होंने महिंद्रा फाइनेंस से कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदा था। दो दिन पहले कंपनी की ओर से मैसेज आया कि बकाया किस्त 120,000 रुपये जमा करें, लेकिन मिथिलेश तय तिथि पर नहीं पहुंच पाए। इसी बीच ट्रैक्टर पेट्रोल पंप पर खड़ा था। वहां एक कार से चार लोग पहुंचे। उनमें से एक ट्रैक्टर स्टार्ट कर ले जाने लगा। तब एक पेट्रोल पंपकर्मी ने इसकी सूचना दी। इसके बाद वह बकाया रकम लेकर मोनिका के साथ घर से निकले। उन्हें बरियठ के समीप उनका ट्रैक्टर दिखा। मिथिलेश ने उन लोगों को रोका। ट्रैक्टर के पीछे -पीछे चल रही कार भी रुकी। 

कार से एक शख्स निकला कहा कि एक लाख 30 हजार रुपये लेकर ऑफिस पहुंचो। मिथिलेश ने कहा कि मैं रुपए लेकर आया हूं, लेकिन आप पहचान बताइये। इस पर उसने खुद को महिंद्रा फाइनेंस का जोनल मैनेजर बताया। तब मिथिलेश ने उससे प्रमाण मांगा तो इसके बाद वह शख्स आगबबूला हो गया ट्रैक्टर बढ़ाने का इशारा किया। मोनिका ने जब रोका तो चालक उसे कुचलते हुए बढ़ गया। इलाज के लिए रिम्स लाने के दौरान उसकी मौत हो गई। 

दिव्यांग किसान मिथिलेश प्रसाद मेहता ने लॉकडाउन काल में मोनिका की शादी कुलदीप प्रसाद मेहता के साथ कर्ज लेकर की थी। दिव्यांग मिथिलेश को स्नातक बेटी और दामाद कुलदीप से काफी उम्मीद थी। भगवान की मर्जी के अनुसार मोनिका ने एक संतान को जन्म दिया। जिसकी मौत कुछ ही दिनों बाद हो गई। अब मोनिका दूसरे बच्चे की मां बनने वाली थी। इसी बीच वह काल के गाल में समा गई। इस बात को लेकर गांव की महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ता नियति को कोस रहे हैं। लोगों का कहना है कि भगवान किसी को ऐसा दुख दर्द न दे जो सहने से ज्यादा हो। बहरहाल गांव के लोग मोनिका के शव और कुलदीप के असम से लौटने की राह ताक रहे हैं। घटना को लेकर डुमरौन और सिझुआ गांव में मातम पसरा हुआ है। गुरुवार रात दोनो गांव में चूल्हे तक नहीं जले।

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