हजारीबाग की मछली की दूसरे राज्यों में बढ़ी मांग, 7000 लोगों को मिला रोजगार।

हजारीबाग की मछली की दूसरे राज्यों में बढ़ी मांग, 7000 लोगों को मिला रोजगार। 


हजारीबाग में मीठे जल की मछली की मांग दूसरे राज्यों में बढ़ गयी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में जिले में मछली का उत्पादन 12,800 मीट्रिक टन था। मत्स्य पालन से जुड़कर जिले के करीब सात हजार लोगों को रोजगार मिला है। अब मत्स्य विभाग भी मछली पालकों को कई तरीके से प्राेत्साहित कर रही है। 

हजारीबाग के मीठे जल की मछली की मांग बिहार के अलावा दूसरे राज्यों में बढ़ी है। पिछले साल 2021-22 में जिले में मछली का उत्पादन 12,800 मेट्रिक टन था। इससे जिले की मछली पालक करीब 38 से 40 करोड़ का मुनाफा कमाए। इसके पीछे मछली पालन विभाग की ओर से चलायी जा रही योजनाओं से जिला मत्स्य पालन व्यवसाय को काफी लाभ मिल रहा है। जिले के करीब सात हजार लोगों को इससे रोजगार मिला है। जिससे मछली पालक किसानों और मछली व्यवसाय से जुड़े लोगों में खुशहाली और आर्थिक रूप से समृद्धि भी आयी है। 

जिले में 17 जलाशय और 746 सरकारी तालाब

हजारीबाग जिले में 17 बड़े जलाशय (डैम) और सरकारी 746 तालाब है। इसके अलावा गांव में निजी तालाब पोखर हैं। मछली पालन बड़े-बड़े डैमो में केज के माध्यम से भी हो रहा है। जिले में करीब चार सौ मत्स्यजीवी सहयोग समिति है। कॉपरेटिव के माध्यम से भी मछली पालक विभिन्न सरकारी योजनाओं का भी लाभ ले रहे हैं। इस वर्ष मत्स्य विभाग ने 15 हजार छह सौ मिट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 

इस वर्ष 100 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य

मछली पालक गणेश कुमार ने बताया कि पहले हम लोग तालाब में मछली पालन का कार्य करते थे। 2016 से कोनार डैम में केज के माध्यम से मछली पालन के लिए कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाया। कल्याण जलाशय मत्स्यजीव सहयोग समिति लिमिटेड गोविंदपुर में 72 मछली पालन को का समूह है। इस समिति में 60 केज है। इस वर्ष 100 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। पिछले माह कम बारिश की वजह से 15 क्विंटल मछलियां मर गईं। जिससे मछली पालकों को नुकसान हुआ है। 

मछली पालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार

बरही माधोपुर तिलैया डैम के गंगा मत्स्यजीव सहयोग समिति लिमिटेड के राजू निषाद ने बताया कि हजारीबाग की मछली की मांग बिहार में काफी है। मछली पालन के लिए सरकार से काफी सहयोग मिलता है। मछली पकड़ने के लिए समिति के पास अपना मोटर बोट है। पिछले कुछ वर्षों में मछली पालन को की आर्थिक स्थिति में सुधार हुई है।

मछली पालन को बढ़ाने के लिए विभाग कर रही प्रोत्साहित

जमुनिया जलाशय मत्स्य जीवी सहयोग समिति के अध्यक्ष जोधन प्रसाद ने कहा कि स्नातक की पढ़ाई पूरा करने के बाद कोई सरकारी नौकरी नहीं मिली। हमारा गांव जमुनिया डैम से सटा हुआ है। इस डैम में बाहर का ठेकेदार मछली डालने का काम करते थे। हम लोगों ने 2015 में कोऑपरेटिव सोसायटी बनाकर मछली डालने का काम शुरू किया। तब से मछली पालन के धंधे से जुड़ा हूं। इसमें अच्छी आमदनी है। बेरोजगार युवकों को इससे जुड़ना चाहिए। 

मछली पालन को बढ़ाने के लिए विभाग कर रही प्रोत्साहित

इस संबंध में जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार ने कहा कि मत्स्य विभाग मछली पालन को बढ़ाने के लिए काफी प्रोत्साहन दे रही है। किसानों को सस्ते दर पर जीरा और फीड की व्यवस्था भी करती है। इसके अलावा मछली पानी से जुड़े अन्य संसाधन की व्यवस्था सब्सिडी दर पर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत करीब 300 और केस बनाए जा रहे हैं। 

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