बड़ा बाजार टीओपी पुलिस ने गुरुवार को डॉ जाकिर हुसैन मार्ग से गश्ती के दौरान पशु लदे टाटा के एक 407 वाहन को जब्त कर लिया है। जिसमें 20 पशुओ को निर्दयता पूर्वक ठुस कर शहर की ओर लाया जा रहा था।

बड़ा बाजार टीओपी पुलिस ने गुरुवार को डॉ जाकिर हुसैन मार्ग से गश्ती के दौरान पशु लदे टाटा के एक 407 वाहन को जब्त कर लिया है। जिसमें 20 पशुओ को निर्दयता पूर्वक ठुस कर शहर की ओर लाया जा रहा था।

जिले में बेजुबान जानवरों का खरीद-फरोख्त रूकने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे पशुओं की तस्करी अवैध रूप से बदस्तूर जारी है। पशु तस्कर कभी 407 वाहन तो कभी ट्रक और कंटेनर जैसे बड़े वाहनों में पशुओं की तस्करी में संलिप्त है। तथाकथित गौ रक्षक और जनप्रतिनिधियो के सामने बेजुबान पशुओं का गोरखधंधा लगातार जारी है। उनकी चुप्पी पर पशु प्रेमी सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पशु तस्कर पशु क्रूरता अधिनियम की आए दिन धज्जियां उड़ा रहे हैं। गुरुवार को पशु तस्करी का खुलासा बड़ा बाजार पुलिस ने किया है। बड़ा बाजार टीओपी पुलिस ने गुरुवार को अहले सुबह डॉ जाकिर हुसैन मार्ग से गश्ती के दौरान पशु लदे टाटा के एक 407 वाहन को जब्त कर लिया है। जब्त किये वाहन में बीआर01जीके 9950 का नेम प्लेट लगा है, जबकि वाहन के मीरर के ऊपर मोर्या मोटर प्राइवेट लिमिटेड लिखा हुआ है। जिसमें 20 पशुओ को निर्दयता पूर्वक ठुस कर शहर की ओर लाया जा रहा था। थाना प्रभारी घनश्याम कुमार ने बताया कि पुलिस की गश्ती दल के रूकने का इशारा करते ही ड्राइवर और खलासी भाग निकला। पुलिस ने जब 407 वाहन की तलाशी ली तो उसपर 20 पशु बरामद किए गए जिन्हें पिंजरापोल गौशाला भेज दिया गया है। जब्त किए गए वाहन नंबर से इसके मालिक की तलाश की जा रही है। जैसे ही डीटीओ के यहां से वाहन के मालिक का नाम पता मिल जाएगा। वाहन मालिक ड्राइवर और खलासी के विरुद्ध पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। 

ग्रामीण इलाके से तस्कर खरीदारी कर रहे हैं पशुओं का

सूत्रों के अनुसार अब खेती किसानी के लिए किसान बैल, भैसा नहीं खरीदते हैं। ज्यादातर किसान अपने खेतों की जुताई ट्रैक्टर से करवाते हैं। इसी का फायदा उठाकर पशु तस्कर पशु क्रूरता अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सुदूरवर्ती और जंगली क्षेत्रों में बसे गांव में ज्यादातर किसान बूढ़े हो चुके बैल, भैसा, देसी और छोटे नस्ल की गाय और बछड़ों को अनुपयोगी मानते कम दाम में बेच दे रहे हैं। इसके बाद पशु तस्कर के आदमी जंगली रास्ते से वैसे पशुओं को बिना चारा भूखे प्यासे मारते पीटते हांक कर एक निश्चित स्थान पर ले आते हैं। इस दौरान पशु तस्कर के आदमी पुलिस कार्रवाई से बचने हाथों में हल और कुदाल लिए चलते हैं। ताकि सभी को यह समझ में आए कि खेती किसानी काम के लिए पशुओं को ले जाया जा रहा है। इसके बाद पशु तस्कर आसानी से खस्सी और बकरी से भी सस्ते दामों में खरीदे गए पशुओं को भारी निर्दयता के साथ छोटे छोटे वाहनों में ठुस कर ले जाते हैं। इसमे बिना दूध देने वाली जर्सी और अन्य नस्ल के पशु शामिल रहते हैं। बड़े पशु तस्कर गरीब और लाचार लोगों को खरीदारी के लिए आगे बढ़ाते हैं। जो चंद पैसों के लालच में रुचि दिखाते हुए ग्रामीणों से पशुओं की खरीदारी कर रहे हैं। जिन्हें बाद में तस्करी के लिए उपयोग किया जा रहा है।

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