दुनियाभर में हर 40 सेकंड में एक सुसाइड होती है। ये आंकड़ा बेहद खतरनाक है और ये सोचने के लिए मजबूर करता है कि कैसे इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।

दुनियाभर में हर 40 सेकंड में एक सुसाइड होती है। ये आंकड़ा बेहद खतरनाक है और ये सोचने के लिए मजबूर करता है कि कैसे इन लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।



विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल लगभग 8 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं। खुदकुशी के ज्यादातर केस 15 से 30 साल की उम्र वाले लोगों के होते हैं।


कब से हुई शुरुआत?

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide prevention day) मनाने की शुरुआत 2003 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) ने की थी। इस दिन को वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ एंड वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा प्रायोजित किया जाता है। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के पहले सफल आयोजन के बाद साल 2004 में डब्ल्यूएचओ इसे औपचारिक रूप से हर साल को-स्पॉन्सर करने लगा। यही वजह है कि इसके बाद इसे हर साल मनाया जाने लगा।

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने का मकसद :

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने का उद्देश्य आत्महत्या, खासकर युवाओं में इसे लेकर बढ़ते मामलों को रोकना और इसके प्रति ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करना है। इस दिन को मनाने का मकसद खुदकुशी करने वाले शख्स के व्यवहार में आने वाले बदलाव से संबंधित आंकड़े जुटाना, रिसर्च करना और जागरुकता फैलाना है।

क्या है इस बार की थीम?

2022 के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की थीम Creating hope through action है। इसका मतलब लोगों में अपने काम के जरिए उम्मीद पैदा करना है। 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम इसी थीम पर बेस्ड होंगे। इस थीम के जरिए विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनियाभर में ये संदेश देना चाहता है कि खुदकुशी करने की सोच रखने वाले लोगों को किसी भी हालात में जीने की उम्मीद नहीं छोड़नी है।


जानिए सुसाइड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट

हाल में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट-2021 रिलीज हुई थी। इसके अनुसार, भारत में 2021 में 1.64 लाख के करीब लोगों ने सुसाइड किया। इनमें ज्यादातर युवा थे। हर आत्महत्या एक त्रासदी कही जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी का अनुमान है कि हर साल लगभग 800,000 लोग आत्महत्या करते हैं। रिसर्च के आधार पर एक्सपर्ट बताते हैं कि दुनियाभर में हर 40 सेकंड में एक सुसाइड होती है। इसके पीछे 4 मुख्य कारण हैं।

1.अनट्रीटेड मानसिक बीमारी- यानी जिन मानसिक बीमारियों के बारे में पता ही नहीं चला या किया। जिनक इलाज भी नहीं कराया गया।

2. स्किल की कमी या टेंशन-जिंदगी में परेशानियां आती-जाती रहती हैं। इनसे निपटने में लाइफ स्किल यानी जिंदगी को जीने का नजरिया महत्वपूर्ण होता है। जो कठिनाइयों से जूझने का स्किल रखता है, वो कभी सुसाइड की कोशिश नहीं करता। कई बार लोग मुसीबतों का सामना नहीं कर पाते और डिप्रेशन में चले जाते हैं। यह भी सुसाइड की वजह बन जाता है।

3. मदद को लेकर अनजान-मानसिक परेशानियां होने पर काउंसिलिंग या हेल्पलाइन काफी मददगार साबित होती है। लेकिन कई बार लोग मजाक बनने या अवेयर नहीं होने से ऐसा नहीं करते हैं। ऐसे लोग सुसाइड जैसा कदम उठाते हैं।

4. डॉक्टरों की मदद-दुनियाभर में 70 प्रतिशत लोग मानसिक परेशानियां होने पर भी डॉक्टर की मदद नहीं लेते। दवाइयां खाने से बचते हैं। ये भी सुसाइड की एक वजह बनती है।

यह फैक्ट्स भी महत्वपूर्ण हैं

विभिन्न स्टडी और रिसर्च के अनुमान के अनुसार, लाखों लोग अत्यधिक दुःख सहते हैं या आत्मघाती व्यवहारों से गहराई से प्रभावित होते हैं। यानी ऐसे लोग आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं।

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 1,64,033 भारतीयों ने सुसाइड की। नेशनल सुसाइड रेट 12 (प्रति लाख जनसंख्या पर गणना) के साथ, 1196 के बाद से सबसे अधिक है। 2020 की तुलना में 2021 के दौरान आत्महत्याओं में 7.2% की वृद्धि हुई, जिसमें महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले थे। इसके बाद तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक हैं।

ऐसे पहचानें सुसाइड करने की स्थिति वाले लोग-दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में रुचि की कमी, सामाजिक दायरे से हटना, व्यक्तिगत देखभाल में कमी, भूख में कमी, नींद में खलल, बेकार महसूस करना, शर्म, अपराधबोध और आत्म-घृणा जैसे लक्षण सुसाइड की प्रवृत्ति को दर्शाते हैं।

झारखंड सरकार ने साल 2021 में एक मेंटल हेल्थ रिहैबिलिटेशन हेल्पलाइन नंबर जारी किया था, जिसपर कॉल करके आप ऐसी स्थिति में मदद या काउंसलिंग की मांग कर सकते हैं। रिनपास का वह नम्बर 9471136697 है। इस नंबर पर आप फोन कर अपनी परेशानियों को मनोचिकित्सक से साझा कर सकते हैं। 

क्या है झारखंड की स्थिति: एनसीआरबी के आंकड़े के अनुसार झारखंड में साल 2021 में 1825 लोगों ने आत्महत्या की है, हालांकि 2020 में ये आंकड़ा 2200 के करीब था। आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा लोग अपने वैवाहिक जीवन से परेशान होकर जान देते हैं। झारखंड में सबसे ज्यादा शादी से संबंधित समस्या को लेकर 240, शादी के बाद लड़ाई झगड़ा के कारण 60, दहेज को लेकर 43, शादी के बाद अवैध संबंध को लेकर 90, शादी के बाद तलाक को लेकर 47, बांझपन और नपुंसकता के वजह से 15, परीक्षा में फेल होने पर 168, परिवारिक कलह होने पर 173 लोगों ने आत्महत्या की थी।

प्रेम सबंध में दे दी 389 लोगों ने जान: झारखंड में आत्महत्या के आंकड़ों में बढ़ोतरी के पीछे एक प्रमुख बड़ी वजह प्रेम प्रसंग रहा है। प्यार मोहब्बत में धोखा खाने के बाद 389 लोगों ने झारखंड में साल 2021 में जान दे दी। हैरानी की बात यह है कि प्यार में जान देने वाले लोगों में पुरुषों की संख्या ज्यादा थी। 

बीमारी और नशे की लत भी बनी वजह: बीमारी आत्महत्या की एक बड़ी वजह मानी जाती है। झारखंड में बीमारी, मानसिक बीमारी और नशे की लत के कारण 569 लोगों ने आत्महत्या की है। इसके अलावा सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने पर 37, संपत्ति विवाद में 63, भविष्य की चिंता को लेकर 64, हाउस वाइफ 162, प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले 201 और सरकारी नौकरी करने वाले 9 लोगों ने आत्महत्या की है। 

आंकड़े से लेना होगा सबक: रांची के रिनपास के वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा ने वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे को लेकर ईटीवी भारत से विस्तार से बातचीत की डॉक्टर सिद्धार्थ के अनुसार अगर आत्महत्या रोकना है तो स्कूल कॉलेजों और परिवार तक हर कदम पर काउंसलिंग करनी होगी। हमें आत्महत्याओं की जड़ में बैठे वजहों के बारे में चर्चा करनी होगी। आत्महत्या की दीवारों को सामने लाने और इसके रोकथाम में मीडिया की भी अहम भूमिका है। वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे 2022 में भी लोगों को सुसाइड से बचाने के लिए एक प्रयास की तरह देखा जा रहा है। इस बार वर्ल्ड सुसाइड प्रवेश अंडे का थीम क्रिएटिंग होप थ्रू एक्सन है। यानी आप अपने बीच काम करने वाले लोगों के उम्मीदों को जगाए रखें उनमें उम्मीद पैदा करें। डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार इस थीम के जरिए हम आत्महत्या का विचार रखने वाले लोगों को ये संदेश देना चाहते है कि उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी है। हर छोटी-बड़ी जैसी भी संभव हो, मदद के जरिए ऐसे व्यक्ति के जीवन में थोड़ी उम्मीद भर सकें इसका प्रयास जारी है। 

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