रांची और पटना की एटीएस टीम रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन खान का इतिहास खंगालने पहुंची हजारीबाग।

रांची और पटना की एटीएस टीम रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन खान का इतिहास खंगालने पहुंची हजारीबाग। 


रांची और पटना की एटीएस टीम रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन खान का इतिहास खंगालने पहुंची हजारीबाग। जहां - जहां पदस्थापित रहा था जलालुद्दीन उन सभी थानों की गतिविधियों और वहां के लोगों से उसके संबंधों की पूरी जानकारी ली।  एटीएस की तीन सदस्यीय टीम उक्त मामले की जांच करने बुधवार को चरही थाना पहुंची थी। चरही और आस - पास के क्षेत्रों में कई लोगों तथा थाना में पदस्थापित पूर्व के कर्मियों से टीम के लोगों ने गहन पूछताछ की। जानकार सूत्र बताते है कि जलालुद्दीन खान के गहरे तार हजारीबाग जिले के कई इलाकों से जुड़े हुए थे।

जलालुद्दीन खान के मोबाइल फोन की जांच करते एटीएस की टीम जिले के उन सभी थानों में पहुंची है जहां - जहां जलालुद्दीन खान पदस्थापित था। हालांकि एटीएस की टीम ने इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार किया। ज्ञात हो में कि पटना के फुलवारी शरीफ नया टोला में रिटायर्ड दारोगा जलालुद्दीन खान एवं पूर्व से आतंकी संगठन सिमी के सदस्य अतहर परवेज युवाओं को भड़का कर आतंकी प्रशिक्षण दे रहे थे। फुलवारी शरीफ एसपी मनीष कुमार ने टीम गठित कर उक्त दोनों लोगों को पकड़ लिया। पकड़े गए दोनों व्यक्तियों के पास से केरल, तमिलनाडु, पश्चिमबंगाल, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों के युवा मार्शल आर्ट के नाम पर आतंकवादी प्रशिक्षण ले रहे थे। इनके पास से लाखों रुपए ट्रांजेक्शन के भी प्रमाण मिले है।

जानिए विस्तारपूर्वक जलालुद्दीन खान के बारे में। 

पटना में पकड़ा गया पीएफआई आतंकी जलालुद्दीन खान, 29 साल झारखंड पुलिस में रहा तैनात। 2021 में गिरिडीह से हुआ था रिटायर। 

पटना में पीएफआई व अन्य आतंकी संगठनों के सांठगांठ के आरोप में गिरफ्तार रिटायर्ड दरोगा मो जलालुद्दीन खान की बहाली 22 जनवरी 1982 को पटना में बतौर आरक्षी हुई थी। बहाली के बाद दस सालों तक जलालुद्दीन पटना में ही रहा। चार जनवरी 1992 को पटना से आरक्षी के पद पर ही मो जलालुद्दीन खान का तबादला गोड्डा जिले में हो गया। तब से लगातार वह झारखंड के इलाके में ही रहा। 30 अप्रैल 2021 को वह गिरिडीह जिले से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के ठीक पहले तक जलालुद्दीन की पोस्टिंग गिरिडीह के नक्सल प्रभाव वाले भेलवाघाटी थाना में दरोगा के पद पर रही थी।

कब कहां-कहां रही पोस्टिंग

गोड्डा जिले में 14 दिसंबर 1992 को आरक्षी के पद पर योगदान देने के बाद जलालुद्दीन यहां 6 सितंबर 2008 तक तैनात रहा। इसके बाद उसकी पोस्टिंग रांची में आरक्षी के तौर पर ही हुई। रांची में वह 13 सितंबर 2008 से 17 मई 2010 तक पदस्थापित रहा। रांची में रहते हुए ही एएसआई में जलालुद्दीन को प्रोन्नति मिली, इसके बाद वह हजारीबाग में बतौर एएसआई पदस्थापित हुआ।

हजारीबाग में पेलावल, चरही जैसे थानों में 21 मई 2010 से 5 सितंबर 2018 तक मो जलालुद्दीन की पोस्टिंग रही। पुलिस मुख्यालय से दरोगा में प्रोन्नति मिलने के बाद हजारीबाग से गिरिडीह में जलालुद्दीन की पोस्टिंग हुई। बतौर दरोगा 9 सितंबर 2018 से 30 अप्रैल 2021 तक वह गिरिडीह जिला बल में रहा। गिरिडीह में 20 नवंबर 2018 से 27 जनवरी 2021 तक जलालुद्दीन भेलवाघाटी थाने में पदस्थापित रहा था।

पुलिस विभाग में साफ-सुथरी रिपोर्ट। 

राज्य पुलिस मुख्यालय ने पटना में जलालुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद उसके संबंध में अपने स्तर से पड़ताल शुरू कर दी है। अबतक की जांच में यह बात सामने आयी है कि मो जलालुद्दीन की पुलिस सेवा का रिकॉर्ड साफ सुथरा रहा है। यही वजह है कि समय पर उसकी प्रोन्नति भी होती रही। सिपाही के पद पर बहाल होने के बाद 39 सालों तक पुलिस विभाग में काम करते हुए वह दरोगा के पद से रिटायर हुआ।

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