भाकपा माओवादी संगठन के हार्डकोर रीजनल कमांडर कारु यादव अपने दस्ता के साथ हजारीबाग के बॉर्डर एरिया बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया के लुगू पहाड़ में जमा हुआ है।

भाकपा माओवादी संगठन के हार्डकोर रीजनल कमांडर कारु यादव अपने दस्ता के साथ हजारीबाग के बॉर्डर एरिया बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया के लुगू पहाड़ में जमा हुआ है। 

संगठन का रीजनल कमांडर दस्ते के साथ दिखा हजारीबाग-बोकारो बॉर्डर के लुगू पहाड़ पर माओवादियों की हलचल।

 
हजारीबाग जिले में भले ही वर्तमान में उग्रवादी गतिविधियों पर विराम लगा हो लेकिन भाकपा माओवादी उग्रवादी संगठन की चहलकदमी जिले के बॉर्डर एरिया में लगातार जारी है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भाकपा माओवादी संगठन के हार्डकोर रीजनल कमांडर कारु यादव अपने दस्ता के साथ जिले के बॉर्डर एरिया बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया के लुगू पहाड़ में जमा हुआ है। इसमें उसके साथ 25 से 30 हथियारबंद दस्ता के शामिल होने की खबर है। बताया जाता है कि पिछले एक पखवारे से यह दस्ता लुगू पहाड़ पर जमा हुआ है। खबर यह है कि इस दस्ता की हर एक गतिविधि पर पुलिस पैनी नजर बनाए हुए हैं। दस्ता का मॉनिटरिंग खुद कारु यादव हार्डकोर उग्रवादी कर रहा है।


बताया जा रहा है कि भाकपा माओवादी संगठन का मुख्य ठिकाना झुमरा पहाड़ रहा था। लेकिन वहां पुलिस की बढ़ती दबिश के बाद उग्रवादी राजधानी के रूप में तब्दील हो चुका झुमरा पहाड़ को छोड़कर अब माओवादियों ने लुगू पहाड़ को ठिकाना बनाया है।

ये पहाड़ झारखंड के रामगढ़ डिस्ट्रिक्ट और बोकारो डिस्ट्रिक्ट के बीच ललपानीय मे स्थित है, झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा पहाड़ मे से एक और पहले स्थान पर पारसनाथ पहाड़ है, लुगू पहाड़ आदिवासी समाज का एक तीर्थ स्थल भी है।

ये पहाड़ आदिवासी समाज का एक तीर्थ स्थल है जहाँ पर आदिवासी समाज के लोग पूजा करने जाते है।  

पहाड़ के ऊपर एक गुफा है। जहाँ पर देवी देवताओ का पूजा होता है। उस गुफा मे एक सुरंग है जो जमीन के अंदर अंदर रास्ता बना हुआ है। जो सीधा राजरप्पा मंदिर के दुवार के पास निकलता है, मना जाता है। की पहले लोग कहते थे जो इंसान लुगू पहाड़ से गुफा के रास्ते अगर वो राजरप्पा मंदिर तक जाता था वो स्वर्ग मे जाता है। और भगवान का दर्शन भी मिलता था। 

उस सुरंग की बात करे तो सुरंग इतना पतला है। की सिर्फ जाने का रास्ता है। और एक समय मे सिर्फ एक ही इंशान जा सकता है। कुछ लोगों का कहना है की कुछ लोग उस गुफा के सुरंग से गए थे लेकिन उसके बाद वो कभी नजर नहीं आए।

लुगू पहाड़ के ऊपर मे एक और गुफा है। और उस गुफा मे शादियों से एक अजगर सांप रहता है। लोगों का कहना है की वो सांप 100 साल से भी ज्यादा उसकी उम्र हो रही है और वो सांप हमेशा वही पर रहता है। लेकिन अब सांप का आकार इतना बड़ा हो गया की वो जल्दी हिल नहीं पाता है और सांप सिर्फ दूध पिता है। 

उसी पहाड़ के सबसे ऊपरी हिस्से मे एक दरार आ गया है। देखने से मानो ऐसा लगता है। की पहाड़ बीच से कट गया है और नीचे गिर जाएगा लेकिन वो कटा हिस्सा अभी भी वैसा का वैसा ही है। ये केसा चमत्कार है देखने के बाद आपके आँखों को भरोसा नहीं होगा।

लुगू बुरु घांटाबड़ी के नाम से प्रचलित यह स्थान संथालियों का सबसे बड़ा और पवित्र तीर्थ स्थल /धाम माना जाता है।

इसे लुगू बुरु घांटाबड़ी धोरोमगढ़ ( Lugu Buru GhantaBadi Dhoromgarh ) के नाम से भी जाना जाता है। हर संथालियों के जीवन में एक बार इसकी यात्रा करना और दर्शन करना पुण्य माना जाता है। यहां पर लुगू बाबा की पूजा की जाती है। लुगू बाबा की पूजा अर्चना सभी वहां के पहान (Pahan) के द्वारा कि जाती है। 

 लुगू बुरु घंटाबड़ी संथाल समुदाय की काफी पुराने समय से एक धरोहर है। इस धरोहर की सभ्यता को होड़ दिशोम (Hor Dishom) के सोस्नोक जुग (Sosnok Jug) के नाम से जाना जाता है।

लुगूबुरू घंटाबड़ी झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला में गोमिया प्रखंड से 16 किमी के अन्तर्गत ललपनिया (Lalpania ) नामक स्थान पर अवस्थित है। 

लुगु बुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ एक घर्म स्थल है तो यहां श्रद्धालुओं का आना जाना हमेशा लगा रहता है। श्रद्धालु लुगू बुरु घंटाबाड़ी में पूजा करने के लिए लुगु पर्वत /लुगु पहाड़ की 7 चोटियों की श्रंखला को पार कर के पहुंचते हैं।

कुछ बातें जो लुगु बूरू को ख़ास बनाती हैं। सबसे पहली बात की जैसे झारखण्ड के सबसे ऊंचे पर्वत पारसनाथ में सीढिय़ों के सहारे सभी लोग वहां की यात्रा तय करते हैं पर इस दूसरे सबसे ऊंचे लुगु पहाड़ में सीढिय़ों के बिना ही केवल पगडंडियों के सहारे पूरी यात्रा तय करनी पड़ती है।
 लुगु पहाड़ को पार करते वक्त ऊंचे चोटियों से दिखने वाली मनोरम दृश्य मन को काफी लुभाने वाली होती है।ऊंचे चोटियों को पार करते हुए आस पास के झरनों की मधुर ध्वनि व्यक्ति को अपनी ओर खूब आकर्षित करती है। पक्षियों की चहचहाहट से मनुष्य का मन अन्दर ही अन्दर झूम उठता है। 


पुरे भारतवर्ष में कई प्रकार की जातियां, जनजातियां मौजूद हैं। और सभी अपने अपने धर्मो को पूजते हैं। हम यह भी जानते है की सभी धर्मों के अलग अलग तीर्थ स्थल अलग अलग जगहों पर स्थित हैं।




लुगू बुरु घंटा बड़ी धोरोमगढ़
कहाँ है लुगू बुरु घंटाबड़ी। ( Lugu Buru GhantaBadi Location ) लुगू बुरु घांटाबाड़ी की ख़ास बातें । Facts of Lugu Buru Ghantabadi लंबी गुफाएं जो बनाती हैं और ख़ास (Lugu Pahar Gufa /Caves ) लुगु पहाड़ का मंदिर महा धर्म सम्मेलन का आयोजन लुगु पहाड़ घंटाबाड़ी सीतानाला इन बातों का रखें ध्यान लुगू बुरु घंटा बड़ी धोरोमगढ़ जिस प्रकार हिन्दू धर्म में चारों धामों को पवित्र माना गया है, इस्लाम में काबा को पवित्र माना गया है ठीक उसी प्रकार संथालियों के लिए भी एक तीर्थ स्थल हमारे झारखण्ड में स्थित है। लुगू बुरु घांटाबड़ी के नाम से प्रचलित यह स्थान संथालियों का सबसे बड़ा और पवित्र तीर्थ स्थल /धाम माना जाता है।



 
इसे लुगू बुरु घांटाबड़ी धोरोमगढ़ ( Lugu Buru GhantaBadi Dhoromgarh ) के नाम से भी जाना जाता है। हर संथालियों के जीवन में एक बार इसकी यात्रा करना और दर्शन करना पुण्य माना जाता है ।यहां पर लुगू बाबा की पूजा की जाती है ।लुगू बाबा की पूजा अर्चना सभी वहां के पहान (Pahan) के द्वारा कि जाती है ।

 लुगू बुरु घंटाबड़ी संथाल समुदाय की काफी पुराने समय से एक धरोहर है । इस धरोहर की सभ्यता को होड़ दिशोम (Hor Dishom) के सोस्नोक जुग (Sosnok Jug) के नाम से जाना जाता है ।


यह राज्य के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत लुगू पर्वत/लुगू पहाड़ (Lugu Pahar) पर स्थित है। लुगू बुरु घांटाबड़ी पहुँचने के लिए यात्रियों को रांची से 80 किमी की दुरी और बोकारो से लगभग 86 किमी की दुरी तय करना पड़ता है।  

लुगू बुरु घांटाबाड़ी की ख़ास बातें । Facts of Lugu Buru Ghantabadi 

जैसा कि लुगु बुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ एक घर्म स्थल है तो यहां श्रद्धालुओं का आना जाना हमेशा लगा रहता है । श्रद्धालु लुगू बुरु घंटाबाड़ी में पूजा करने के लिए लुगु पर्वत /लुगु पहाड़ की 7 चोटियों की श्रंखला को पार कर के पहुंचते हैं। 



कुछ बातें जो लुगु बूरू को ख़ास बनाती हैं। सबसे पहली बात की जैसे झारखण्ड के सबसे ऊंचे पर्वत पारसनाथ में सीढिय़ों के सहारे सभी लोग वहां की यात्रा तय करते हैं पर इस दूसरे सबसे ऊंचे लुगु पहाड़ में सीढिय़ों के बिना ही केवल पगडंडियों के सहारे पूरी यात्रा तय करनी पड़ती है ।

 लुगु पहाड़ को पार करते वक्त ऊंचे चोटियों से दिखने वाली मनोरम दृश्य मन को काफी लुभाने वाली होती है ।ऊंचे चोटियों को पार करते हुए आस पास के झरनों की मधुर ध्वनि व्यक्ति को अपनी ओर खूब आकर्षित करती है । पक्षियों की चहचहाहट से मनुष्य का मन अन्दर ही अन्दर झूम उठता है ।


 
पगडंडियों से पर्वत के शिखर को पहुंचने से पहले और भी कई सारी ऐसी चीजें देखने को मिलती है जो शायद पहले कभी ना देखा हो। जैसे कि इतनी ऊंचाई पर खूब सारे झरनें ,पानी से भरे नालें ,जिसका जल काफी शुद्ध होता है और पीने योग्य भी ।

लंबी गुफाएं जो बनाती हैं और ख़ास (Lugu Pahar Gufa /Caves ) 
 
यह जान कर आपको भी आश्चर्यचकित होगा कि इतने ऊंचे चोटी पर लंबी समतल जमीन है । जहां कार्तिक पुर्णिमा और मकर संक्रान्ति के दिन मेला भी लगता है। जिस जगह पर लुगु बाबा की पूजा अर्चना होती है ठीक उसके बगल में ही एक लंबी गुफा है जो हर किसी को आश्चर्यचकित करने के लिए काफी है। 

गुफाओं के अन्दर पानी का रिसना भी एक चमत्कार से कम नहीं है । एक तो इतनी ऊंचाई पर यह पहाड़ स्थित है और इतने ऊंचाई पर पानी का श्रोत कहां से आता है यह सभी को सोचने के लिए मजबूर कर देती है। 


प्रति वर्ष हर कार्तिक पूर्णिमा के दिन लुगु बूरु घंटाबाड़ी में संथाली श्रद्धालुओं का विशाल तांता लग जाता है । इस दिन यहां पर बहुत ही बड़े मेले का भी आयोजन किया जाता है । साथ में दो दिवसीय कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है। 

इस कार्यक्रम में दूर दूर से लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होकर शामिल होते हैं और कार्यक्रम का लुफ्त उठाते हैं। इस कार्यक्रम में संथाली नृत्य ,संथाली गीत की प्रस्तुति देखने को मिलती है। पूरे भारत समेत कई अन्य देशों से भी संथाली समुदाय के लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं ।

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