अब तक कक्षा 8वीं, 9वीं एवं 11वीं का रिज़ल्ट जारी नहीं हुआ है। बच्चों का भविष्य अंधकार में।
अब तक कक्षा 8वीं, 9वीं एवं 11वीं का रिज़ल्ट जारी नहीं हुआ है। बच्चों का भविष्य अंधकार में।
रिजल्ट निकलने से पहले शिक्षकों से स्कॉलरशिप तथा पोशाक के लिए बच्चों की सूची मांगी जा रही है। जब रिजल्ट ही नहीं निकला है तो फिर किस आधार पर बच्चों की सूची दी जाए यह बात शिक्षकों को समझ नहीं आ रही है।
रिजल्ट में देरी से स्कॉलरशिप और पोशाक की सूची देना आसान नहीं है।
जुलाई माह समाप्त हो चुका है। स्कूलों में एक जुलाई से सत्र शुरू हो जाना चाहिए था। रिजल्ट में देरी से सत्र शुरू नहीं हुआ है और लगभग 50 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं की सूची भी तैयार नहीं हो रही है। अंत में इसका ठीकरा शिक्षकों पर ही फोड़ा जाएगा।
रिजल्ट में देरी से स्कॉलरशिप तथा पोशाक की सूची देना आसान नहीं है। शिक्षा महकमा पटरी पर आने का नाम नहीं ले रहा है। पहले कोरोना और फिर विभागीय लापरवाही व झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इसे बेपटरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। आलम यह है कि रिजल्ट में देरी से गुरुजी की फजीहत अलग हो रही है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने कोरोना को देखते हुए सत्र को तीन माह के लिए बढ़ा दिया था। अब चौथा माह भी बीतने को है। अब तक क्लास आठ, नौ एवं 11वीं का रिजल्ट जारी नहीं हुआ है। ऐसे में नौवीं, दसवीं एवं बारहवीं की पढ़ाई विधिवत शुरू नही हो सकी है। कुछ छात्र-छात्राएं वगैर रिजल्ट निकले ही स्कूल में आ रहे है। शीघ्र रिजल्ट निकालने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से निर्देश जारी किया गया है। बावजूद इसका अनुपालन करना आसान नहीं है। रिजल्ट निकलने से पहले शिक्षकों से स्कॉलरशिप तथा पोशाक के लिए बच्चों की सूची मांगी जा रही है। जब रिजल्ट ही नहीं निकला है तो फिर किस आधार पर बच्चों की सूची दी जाए यह बात शिक्षकों को समझ नहीं आ रही है। जुलाई माह समाप्त हो चुका है। स्कूलों में एक जुलाई से सत्र शुरू हो जाना चाहिए था। रिजल्ट में देरी से सत्र शुरू नहीं हुआ है और लगभग 50 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं की सूची भी तैयार नहीं हो रही है। अंत में इसका ठीकरा शिक्षकों पर ही फोड़ा जाएगा। शिक्षकों का कहना है कि यदि काउंसिल समय पर परीक्षा ले लिया रहता तो रिजल्ट देने में देर नहीं होती। परीक्षा लेने में देर की वजह समझ से परे है। परीक्षा लेने के तुरंत बाद से अंक मांगा जा रहा है। जल्दीबाजी करने से छात्र-छात्राओं का सही मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।
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