मंगोलिया से 3000 किमी की दूरी तय कर हजारीबाग के तिलैया डैम में आते हैं बार हेडेड गूज पक्षी।
मंगोलिया से 3000 किमी की दूरी तय कर हजारीबाग के तिलैया डैम में आते हैं बार हेडेड गूज पक्षी।
हजारीबाग में शीतकालीन प्रवास पर प्रति वर्ष मंगोलिया से सरपट्टी राजहंस ( बार हेडेड गूज ) पहुंचते हैं। इस तथ्य की पुष्टि तेरखीन सागन लेक सेंट्रल मंगोलिया में बर्ड को रिंग लगाने वाले रिसर्चर न्यामबायर एन और सेवीनमीदग एन ने की है। मंगोलिया की सीमाएं रूस और चीन से मिलती हैं।
हजारीबाग से सागन लेक मंगोलिया की हवाई दूरी लगभग 3000 किमी है। तिलैया डैम में 30 जनवरी 2022 को वाटर बर्ड सेंसस के दौरान बर्ड वाचर अमित जैन ने एक रिंग लगा हुआ बार हेडेड गूज की तस्वीर ली थी। गूज की गर्दन में हरे रंग का रिंग लगा था, जिसमें के 48 अंक दर्ज था। इसी रिंग से इसकी शिनाख्त हुई।
हजारीबाग में मिला था रिंग लगा बार हेडेड गूज, 2015 में पहली बार दिखे थे।
दूसरी बार मिला रिंग लगा गूज
झारखंड में रिंग लगे गूज को 2015 में भी देखा गया था। तब आईबीसीएन स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ.सत्य प्रकाश कोनार डैम में बर्ड सेंसस कर रहे थे। रिंग ( एफ 40 ) लगा गूज मिला था। प्रकाश ने बताया कि गूज को मंगोलिया के जीव विज्ञान शोध संस्थान ने लगाया था। गूज हिमालय के ऊपर से गुजरकर झारखंड पहुंचते हैं।
गूज हंस की प्रजाति है
बार हेडेड गूज हंस की एक प्रजाति है। इन्हें राजहंस भी कहा जाता है। इसका मूल निवास मध्य एशिया के देशों में स्थित जलाशय और हिमालय के क्षेत्र हैं। हर साल नवंबर दिसंबर माह में गूज शीतकाल बिताने के लिए भारत प्रवास पर आते हैं। तीन से चार से चार महीने बिताकर वापस अपने मूल स्थान को लौट जाते हैं।
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